बरसों, कि याद नहीं कब था
दीवाली में अपने घर पे।
शायद 12 साल पहले घर पर
अपने लोगों के साथ दीप जलाया था।
कुछ-कुछ याद है लेकिन तंदरूस्त याद नहीं..
पटाखों की आवाज यहां भी सुनता हूं
लेकिन अपने शहर की मिरचया पटाखे की तरह नहीं।
बमों, फूलझड़ियों से मोहल्ले को गुलजार करते बच्चे
फिर सुबह में बचे पटाखों को सड़कों पर खोजते बच्चे..
कितना अच्छा लगता था, उन बच्चों को देखना
पटाखों की गंध सुबह तक हमारे साथ रहती थी।
वो हुका-हुकी..जो हम खेला करते थे
वो तो बस अब याद का हिस्सा है
संठी की बनी हुका-हुकी और उसे जलाने का आनंद
बस पुराने अनुभवों की तरह ही रह गया है।
दिल्ली की भी दीवाली कोई बुरी नहीं है
यह भी रास आता है पर लगता है
जैसे पैसों से ही यहां दीवाली होती है..
चमचम करते पैक में बंद गिफ्ट..
ये सब कहां होता है अपने शहर में...
इसी बीच अजय ब्रह्मात्मज चैट पर कहते हैं
"दीप पर्व में अक्षर रोशन करें"
8 comments:
निशि दिन खिलता रहे आपका परिवार
चंहु दिशि फ़ैले आंगन मे सदा उजियार
खील पताशे मिठाई और धुम धड़ाके से
हिल-मिल मनाएं दीवाली का त्यौहार
अजय ब्रह्मात्मज सर तो ये भी कहते हैं कि रोशनी के इस त्योहार में ऋतिक रौशन हो जाओ। मैं उनकी बात कभी भी टालता नहीं लेकिन क्या करें,नाचना ही नहीं आता।..
अपने घर मनाई गई दीपावली की बात अब कहां ?पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!
आपको दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई.
दीपक भारतदीप
Its a great nostalgic piece, It took me to my childhood ravelling with kid. I hope God will make ur wish come true next Deepawil u will be celeberating with wishes flocking around u ..all the best
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
दीपावली के शुभ अवसर पर आपको और आपके परिवार को शुभकामनाएं!!
परमजीत बाली
बचपन के अभावों वाली दीवाली न जाने क्यूं याद आती है? जब लड़ी वाले बमों को एक-एक कर जलाते थे और आनन्द लेते थे। अब तो बस दिखावा पसर गया है सब तरफ। अच्छी पोस्ट है, बधाई। दीवाली की शुभकामना।
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
सादर
-समीर लाल 'समीर'
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