अब जब
तुम सब हो गए हो बड़े
अब जब
तुम्हारी बस गई है
अपनी बस्ती
तो अब खुलकर
बातें करो आसमां से,
बातों ही बातों में कभी
तुम सब छू लेना बादलों को
और
पूछना सूरज से कि
ऊंचाई से हरी पत्तियां
कैसी लगती है?
किसी पूर्णिमा की रात
करना चाँद से गुफ्तगू
बारिश के मौसम में
बादल के कोमल हाथों से
पहले स्नान का सुख
हमें बताना साथी...
यूँ ही सिर ऊंचा किए
हमसे भी कभी
गुफ्तगू करना साथी
और बताना
पतझड़-सावन-बसंत-बहार
की कहानी
#ChankaResidency
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