Friday, January 11, 2019

कदंब के नाम पाती

अब जब
तुम सब हो गए हो बड़े
अब जब
तुम्हारी बस गई है
अपनी बस्ती
तो अब खुलकर
बातें करो आसमां से,
बातों ही बातों में कभी
तुम सब छू लेना बादलों को
और
पूछना सूरज से कि
ऊंचाई से हरी पत्तियां
कैसी लगती है?
किसी पूर्णिमा की रात
करना चाँद से गुफ्तगू
बारिश के मौसम में
बादल के कोमल हाथों से
पहले स्नान का सुख
हमें बताना साथी...
यूँ ही सिर ऊंचा किए
हमसे भी कभी
गुफ्तगू करना साथी
और बताना
पतझड़-सावन-बसंत-बहार
की कहानी

#ChankaResidency

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