'किसान' शब्द पर लंबी बातें होती है। उधर, किसान को मक्का का मूल्य नहीं मिल पाता है। किसान हर महीने कितना रुपया कमा पाता है, इसपर कोई बहस करने को तैयार नहीं है। जीने के लिए पैसा चाहिए, और पैसा उपज से कितना आता है यह बताने की ज़रूरत नहीं है।
सबसे 'सेफ़ पॉलटिक्स' किसान के नाम पर ही होती है। किसान शब्द का प्रयोग 'चेरिटेबल ट्रस्ट' की तरह होता है। हर सरकार किसान को लेकर लुभावनी बातें करती आई है लेकिन किसान अपना वहीं है। किसानी को पेशा मानने के लिए कोई तैयार नहीं है और अब तो किसान भी किसानी छोड़ने लगा है। 'जय जवान-जय किसान' के नाम पर सरकारें बनती हैं लेकिन 'जय' किसी और की हो जाती है और किसान हाय-हाय करता रह जाता है।
किसान मरता है, आत्महत्या करता है या फिर मारा जाता है तो ही सरकारें और 'सोशल मीडिया की सरकारें ' किसान शब्द पर विचार व्यक्त करती है अन्यथा धरना प्रदर्शन तो चलता ही रहता है।
किसान सात रुपए किलोग्राम की दर से कटहल बाज़ार पहुँचाता है और वही कटहल बाज़ार में ग्राहक तीस रुपए किलोग्राम के भाव से ख़रीदता है। किसान की यही पीड़ा है। किसान हल्ला करेगा तो अब मारा जाएगा, ऐसा भी अब दिखने लगा है।
आग्रह है कि किसान को लेकर राजनीति न हो। किसान को सुविधा दीजिए, हम पर नज़र रखिए, हमारी फ़सल के बदले उचित पैसा दीजिए हुज़ूर। राजनीति करने के लिए आपलोगों के पास बहुत कुछ है। आज किसान मारा जा रहा है तो डर है कि हम किसानी कर रहे लोग भी कहीं आक्रमक न हो जाएँ। किसान के नाम पर इतना पैसा है तो उसके बदले में हमें खेती के लिए कुछ दीजिए। हमें आक्रामक मत होने दीजिए।
हमारे बिहार में हम किसानों की हालत अन्य राज्यों से बेहतर है। खेत में सिंचाई के लिए बिजली पहुँच रही है। खेती के लिए कुछ सुविधाएँ मिलने लगी है। यहाँ सरकार तक किसान पहुँच रही है। अब किसान सरकार के सामने अपनी बात रखने लगी है। नीतीश कुमार १६ जून को किसान समाग़म करने जा रहे हैं। इसके लिए हम बिहार सरकार के मुखिया के आभारी हैं।
किसान को अपना काम करने दीजिए, मुनाफ़ा कमाने दीजिए। ताज्जुब होता है राजनीतिक दल पर। आप हर मुद्दे पर टीवी पर पार्टी का स्टेण्ड रखने के लिए एक्सपर्ट भेजते हैं लेकिन किसान की बात जब आती है तब क्यों नहीं 'किसान प्रवक्ता' को सामने लाते हैं। किसान शब्द को लेकर राजनीति ही करनी है तो पार्टी में किसान प्रवक्ता का पद बनाइए। बाद बांकी तो आपको पता ही होगा कि मध्यप्रदेश में पाँच किसान गोली लगने से मर गए हैं।
1 comment:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस : ख्वाजा अहमद अब्बास और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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