आज बोर्ड का जो रिजल्ट आया है, यही बिहार की सच्चाई है। नीतीश कुमार को अब सरकारी स्कूल और कॉलेज पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। नहीं तो वह वक्त भी हम बिहारी देखेंगे जब हम पांचवीं में ही बच्चों को बिहार से बाहर भेज देंगे। अभी तो हम सब बारहवीं के बाद भेजने के लिए पैसा जमा करते हैं न !
सरकारी स्कूल के टीचर सब पर ध्यान देने का वक्त है। चुनाव और हड़ताल के बीच शिक्षक जूझते दिखते हैं। बाद बांकी हेडमास्टर साब या प्रभारी विद्यालय भवन और उसके किचन और शौचालय के निर्माण कार्य में अपने खाते का अंक बढ़ाते हैं। इसमें अंक फिक्स रहता है।
मास्टर साब बुरा मत मानिएगा, गाम के स्कूलों को बहुत नजदीक से देखने का अब चार साल का अनुभव हो गया है। बच्चों को क्या पढ़ाया जाता है, यह किसी से छुपा नहीं है। कॉपी जांच में जुटे कई शिक्षकों से इस बार बात हुई। कॉपी में पैसा चिपका देता है विद्यार्थी सब। हम अपनी तारीफ क्यों करें, अपनी गलतियों को अब सार्वजनिक करने का वक्त आ गया है। जिस वक्त कॉपी जांच चल रहा था उसी वक्त शिक्षक हड़ताल पर थे। कई चीजों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
नीतीश कुमार यदि ठान लेंगे तो चीजें सही हो सकती है। मॉडल स्कूल बनाने के नाम पर करोड़ों की लागत पर मल्टीस्टोरी भवन बने हैं प्रखंडों में। देखने में बहुत सुंदर लगता है। वहां हमने लोगों को मक्का सूखाते देखा है। अब इन मंहगे भवनों के बारे में भी सोचा जाना चाहिए।
हमें अब सोचना चाहिए । सरकार को कोसना आसान है लेकिन हमें खुद को भी कोसना चाहिए। आखिर हम बच्चे की कॉपी क्यों नहीं चेक करते हैं। उसे स्कूल में क्या पढ़ाया गया इस पर हम बहस क्यों नहीं करते। केवल मीड डे मील में फंसे रहते हैं हम सब।
हम क्यों नहीं पढ रहे हैं, यह सवाल सरकार से नहीं पूछा जाना चाहिए लेकिन यह तो जरुर पूछा जाना चाहिए कि आखिर स्कूलों में पढ़ाई क्यों नहीं हो रही है, कॉलेजों में समय पर कोर्स क्यों नहीं पूरा करवाया जा रहा है?
शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। बिहार बोर्ड के 64% बच्चे नहीं बल्कि हम सब फेल हुए हैं। यह बड़ा सवाल है कि आखिर 10 वीं -12वीं के बच्चों को भरोसो कोचिंग संस्थानों पर क्यों है, स्कूल पर क्यों नहीं ?
1 comment:
दादा 64% तो फेल हो ही नहीं सकते। बोर्ड ऑफिस में और आंसर शीट चेक करने वाले कुछ निकम्मों की कारगुजारी है ये। ऐसा कैसे हो सकता है की बाकी सब्जेक्ट में A/A+ ग्रेड नंबर लाने वाले एक विषय में फेल हो जाए।
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