Friday, May 26, 2017

मधेपुरा में कुछ अलग कर रहे आशीष सोना

गीतकार राजशेखर जब पूर्णिया -चनका आए थे तो उनके संग एक व्यक्ति और आए थे। हंसमुख, समस्याओं के जाल को नकारने वाला और हाँ हर वक़्त कुछ अलग करने की धुन में रमा रहने वाला। वे पहली ही मुलाक़ात में हमारे मनमीत बन गये। उनका नाम आशीष सोना है और हम सब उन्हें सोना भैया कहते हैं।

सोना भैया मधेपुरा में रहते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद वे मधेपुरा में अपने ही आवास में एक 'सोलर प्रयोगशाला' चला रहे हैं। इन दिनों जब हर जगह आत्म-प्रचार का दौर चला हुआ है ऐसे में सोना भैया चुपचाप चार लोगों के साथ सोलर और एलईडी लाइट पर काम कर रहे हैं।

गाँव घर के लिए उन्होंने एक लाजवाब चीज़ बनाई है-'सूरज बत्ती'। लालटेन की तरह हल्का और एलईडी लाइट वाला यह लालटेन मेरे लिए तो बहुत काम चीज़ है क्योंकि अभी भी चनका में बिजली शहर के माफ़िक़ नहीं है। सोना भैया ने अपने इस सोलर और एलईडी प्रोजेक्ट का नाम RUJA -Energy Systems रखा है।

मेरे लिए सोना भैया इसलिए भी ख़ास हैं क्योंकि वे अपने भीतर गाँव को बचाकर रखे हुए हैं। हाल ही में जब मधेपुरा गया था तो कई चौक चौराहे उनके बनाए एलईडी स्ट्रीट लाइट से चमक रहे थे। वे तब चुप थे और आज भी अपने काम को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। वे प्रचार से बचते हुए अपने काम के बदौलत प्रकाश फैला रहे हैं। जब भी लगता है कि चनका रेसीडेंसी का अपना सपना पूरा होगा या नहीं और मैं उधेरबुन में फँस जाता हूं तो सोना भैया से बात करता हूं और वे चुटकी में मन के भीतर छुपे भय को भगा देते हैं।

चनका में शाम सात से नौ बजे तक जब बिजली गुल रहती है तब सोना भैया की 'सूरज बत्ती' दूधिया रौशनी से मेरे कमरे को नहा देती है। पिछले दो साल से सोना भैया के सम्पर्क में हूं। राजशेखर भाई ने सचमुच में एक नायक से मेरी मुलाक़ात करवाई है, जिसे हार और निराशा से नफ़रत है, जिसे बस काम करते रहने आता है। जिसे यह भरोसा है कि मैं ग़लत काम नहीं कर रहा हूं।

ख़बरों की दुनिया से कोसों दूर रहने वाले सोना भैया कहते हैं कि क्या प्रचार करूँ और किसके लिए, इससे अच्छा है कि एक सोलर प्लेट, एक सोलर बत्ती या फिर एलईडी लाइट बनाकर किसी की झोपड़ी में या फिर किसी चौराहे के बिजली के खम्बे में लटका दूँ। आशा है कि काम के प्रति यही नशा सोना भैया को एकदिन चमका देगा। 

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