आज हम सुबह जब पूर्णिया से निकले तो यह सोच रखे थे कि सीमांचल के उन इलाकों की यात्रा करेंगे जहां पहले जूट और गन्ना की खेती बड़े स्तर पर होती थी लेकिन अब वहां आलू,मक्का और अन्य फसलों की खेती होने लगी है इसके बावजूद किसान परेशान हैं।
यही सोचकर हम धमदाहा, बनमनखी, मधुबन, मुरलीगंज, मधेपुरा और सिंहेश्वर की ओर निकल पड़े। दरअसल आलू की खेती की तैयारी के बाद आपका किसान इन दिनों चुनावी बकैती कर रहा है। नेताओं की बात कम , लोगों की बातें अधिक सुनता हूँ।
आज सिंहेश्वर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सभा भी थी। सुनता आया हूँ कि उनकी रैली नहीं होती है , नीतीश कुमार दरअसल अपनी चुनावी कार्यक्रमों को सभा कहते हैं। हालांकि सभा में पीले रंग की टी शर्ट पहने युवाओं की टोली दिखी। ऐसी ही टोली लोकसभा चुनाव के वक्त नरेंद्र मोदी की रैली में दिखती थी। राजनीति में बहुत कुछ नया होता रहता है, एक ब्रांडिंग की तरह।
नीतीश कुमार को लेकर जयकारा कुछ ज्यादा सुनने को मिला। करीब 10 लोग मंच पर माइक में मुंह लगाकर नीतीश कुमार की जय जय करने में लगे थे। लगा कि नीतीश भी बोर हो रहे थे। हालांकि उनके चेहरे पर मुस्कान बरकरार थी। नेताओं को बहुत कुछ बनाकर रखना पड़ता है :)
नीतीश कुमार सहज और संयम तरीके से बोलते दिखे। नीतीश बोले कि वे दरबार में हाजिरी लगाने आये हैं। विकास की बातें की। साइकिल चलाती लड़कियों का उन्होंने जिक्र किया। यह काम तो उन्होंने अच्छा किया है।
उधर, धमदाहा में अरविन्द से बात होती है। वे खेती करते हैं। मक्का के इस किसान ने बताया कि धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से 25 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन कोई भी किसानों की समस्या को गंभीरता से नहीं उठा रहा है। उन्होंने बताया कि वे नकारात्मक नहीं हैं , इसलिए वे चाहेंगे कि किसानों को एकजुट होना होगा।
बनमनखी में किसानों का गुस्सा मुखर दिखा
यह गन्ना का इलाका था। पहले यहां गन्ने की खेती खूब होती थी। यहां चीनी मिल हुआ करता था लेकिन अब सबकुछ उजड़ चूका है। परमानन्द साह ने कहा कि उन्हें भाजपा और नीतीश कुमार दोनों ने ठगा है। सुमन देवी ने कहा कि गाँव खाली हो गया है, रोजगार नहीं है ऐसे में परिवार के लोग सब बाहर चले जाते हैं कमाने के लिए।
मुरलीगंज में एक युवक से मुलाक़ात होती है। उसका नाम रोहन था। उसकी बोलने की शैली कमाल की थी। आत्मविश्वास से लैस इस युवक में मुझे नेता दिख गया :)
खेतों में धान की फसल दिखी। आलू भी दिख गया। मधेपुरा में सत्तू की दूकान पर रमेश यादव मिले। उन्होंने कहा कि पप्पू यादव से उन्हें गुस्सा है। रमेश जी ने पप्पू यादव को नरेंद्र मोदी से जोड़कर एक नया फार्मूला हमें समझाने लगे।
किशनगंज में जिस तरह ओवैसी फेक्टर पर लोग अब बात करते नहीँ मिले ठीक उसी तरह यहां पप्पू यादव की भी लोग उस स्तर पर बात नहीं कर रहे हैं। लहर वाली बात नहीं दिखी। लोकतंत्र का असली आनन्द तो यही है। जनता आपको अच्छा -बुरा सबका पाठ पढ़ाती है। बाद बांकी जो है सो तो हइये है।
यही सोचकर हम धमदाहा, बनमनखी, मधुबन, मुरलीगंज, मधेपुरा और सिंहेश्वर की ओर निकल पड़े। दरअसल आलू की खेती की तैयारी के बाद आपका किसान इन दिनों चुनावी बकैती कर रहा है। नेताओं की बात कम , लोगों की बातें अधिक सुनता हूँ।
आज सिंहेश्वर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सभा भी थी। सुनता आया हूँ कि उनकी रैली नहीं होती है , नीतीश कुमार दरअसल अपनी चुनावी कार्यक्रमों को सभा कहते हैं। हालांकि सभा में पीले रंग की टी शर्ट पहने युवाओं की टोली दिखी। ऐसी ही टोली लोकसभा चुनाव के वक्त नरेंद्र मोदी की रैली में दिखती थी। राजनीति में बहुत कुछ नया होता रहता है, एक ब्रांडिंग की तरह।
नीतीश कुमार को लेकर जयकारा कुछ ज्यादा सुनने को मिला। करीब 10 लोग मंच पर माइक में मुंह लगाकर नीतीश कुमार की जय जय करने में लगे थे। लगा कि नीतीश भी बोर हो रहे थे। हालांकि उनके चेहरे पर मुस्कान बरकरार थी। नेताओं को बहुत कुछ बनाकर रखना पड़ता है :)
नीतीश कुमार सहज और संयम तरीके से बोलते दिखे। नीतीश बोले कि वे दरबार में हाजिरी लगाने आये हैं। विकास की बातें की। साइकिल चलाती लड़कियों का उन्होंने जिक्र किया। यह काम तो उन्होंने अच्छा किया है।
उधर, धमदाहा में अरविन्द से बात होती है। वे खेती करते हैं। मक्का के इस किसान ने बताया कि धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से 25 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन कोई भी किसानों की समस्या को गंभीरता से नहीं उठा रहा है। उन्होंने बताया कि वे नकारात्मक नहीं हैं , इसलिए वे चाहेंगे कि किसानों को एकजुट होना होगा।
बनमनखी में किसानों का गुस्सा मुखर दिखा
यह गन्ना का इलाका था। पहले यहां गन्ने की खेती खूब होती थी। यहां चीनी मिल हुआ करता था लेकिन अब सबकुछ उजड़ चूका है। परमानन्द साह ने कहा कि उन्हें भाजपा और नीतीश कुमार दोनों ने ठगा है। सुमन देवी ने कहा कि गाँव खाली हो गया है, रोजगार नहीं है ऐसे में परिवार के लोग सब बाहर चले जाते हैं कमाने के लिए।
मुरलीगंज में एक युवक से मुलाक़ात होती है। उसका नाम रोहन था। उसकी बोलने की शैली कमाल की थी। आत्मविश्वास से लैस इस युवक में मुझे नेता दिख गया :)
खेतों में धान की फसल दिखी। आलू भी दिख गया। मधेपुरा में सत्तू की दूकान पर रमेश यादव मिले। उन्होंने कहा कि पप्पू यादव से उन्हें गुस्सा है। रमेश जी ने पप्पू यादव को नरेंद्र मोदी से जोड़कर एक नया फार्मूला हमें समझाने लगे।
किशनगंज में जिस तरह ओवैसी फेक्टर पर लोग अब बात करते नहीँ मिले ठीक उसी तरह यहां पप्पू यादव की भी लोग उस स्तर पर बात नहीं कर रहे हैं। लहर वाली बात नहीं दिखी। लोकतंत्र का असली आनन्द तो यही है। जनता आपको अच्छा -बुरा सबका पाठ पढ़ाती है। बाद बांकी जो है सो तो हइये है।
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