दरभंगा से आगे निकलते हुए हम समस्तीपुर की ओर बढ़ते हैं। सुबह का वक्त था, सड़क के किनारे लोगबाग घुमते हुए बतकही कर रहे थे। यहां हमारी पहली बातचीत एक छात्र से होती है जो ट्यूशन पढ़ने जा रहा होता है। हमने पूछा चुनाव का क्या हाल है? 12वीं के उस छात्र ने हमें बताया कि कल्याणपुर जाइए न वहां मामला बड़ा मजेदार मिलेगा आपको, एकदम गणित के सवाल जैसा। यह कहते हुए उसने साइकिल आगे बढ़ा ली।
चुनाव की बातें करते वक्त हम अक्सर नेताओं की बात करते हैं लेकिन असली बात तो मतदाताओं की होती है। मतदाताओं के मन को समझने के लिए उनसे बतकही करने की जरुरत होती है। एक समाचार एजेंसी में काम करने वाले हमारे पत्रकार मित्र इन दिनों बिहार के दौरे पर हैं। उन्होंने बाताया कि लोगबाग इस बार प्रतिक्रिया बेहद नाप-तौल कर दे रहे हैं।
समस्तीपुर में एक कालेज में पढ़ने वाले छात्र रमेश आर्य ने बाताया कि उन्हें राजनीति शास्त्र में दिलचस्पी है। उन्होंने बताया कि आप भले चौक चौराहों पर लोगों की बात सुन रहे हैं लेकिन क्या आपको समस्तीपुर का
इतिहास पता है? रमेश ने बताया कि यह कर्पूरी ठाकुर का विधानसभा क्षेत्र रह चुका है, जिनके नाम पर राजनीतिक दल के लोग फसल लूट रहे हैं।
गौरतलब है कि समस्तीपुर विधानसभा सीट से कर्पूरी ठाकुर 1980 में विधायक रहे थे। इस सीट पर मौजूदा समय में आरजेडी के अख्तरुल इस्लाम सहीन विधायक हैं, जिन्होंने 10 सालों तक विधासक रहे रामनाथ ठाकुर को 2010 में नजदीकी मुकाबले में 1,827 मतों से हराया था। समस्तीपुर में बागी, शाहपुर बघौनी,
आधारपुर जैसे इलाके आते हैं। यहां 2000 से 2010 के बीच रामनाथ ठाकुर जीतते रहे।
समस्तीपुर जाने के क्रम में हमें साइकिल सवार छात्र ने कल्याणपुर जाने की नसीहत दी थी। इसलिए हमने समस्तीपुर बाजार में एक चाय दुकान पर लोगों से कल्याणपुर के बारे में पूछा। बुजुर्ग रामावतार शर्मा ने बताया कि बौआ, कल्याणपुर में मुकाबला चाचा-भतीजा के बीच है।
दरअसल कल्याणपुर में एक तरफ जहां राम विलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज लोजपा के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं, तो दूसरी ओर रिश्ते में उनके चाचा जनता दल (युनाइटेड) के उम्मीदवार व पूर्व सांसद महेश्वर हजारी चुनौती दे रहे हैं। समस्तीपुर के सांसद रामचंद्र पासवान सांसद हैं।
रामावतार शर्मा बताते हैं कि किस तरह राजनीति में रिश्तों को भी भुनाया जाता है। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव जैसी स्थिति अभी नहीं है। उनका इशारा मोदी लहर की तरफ था। शर्मा जी ने बताया कि लोगबाग वैसे तो मोदी की बातें कर रहे हैं लेकिन मन में नीतीश कुमार हैं। चाय की चुस्की लेते हुए
वहीं बैठे योगानंद ठाकुर ने कहा कि नीतीश सब मामले में ठीक हैं लेकिन लालू से उन्होंने जो गठबंधन कर लिया न, हमलोगों का मन टूट गया। बाद बांकी उन्होंने काम तो जबरदस्त किया है। सड़क, बिजली सब कुछ बदल चुका है बिहारमें।
इन तमाम राजनीतिक गणित की पहेलियों के बीच सर्वे भी हो रहे हैं कि कौननेता कितना लोकप्रिय है। लोकप्रियता के ग्राफ में नीतीश कुमार अभी भी आगे हैं। विभिन्न मीडिया ग्रुपों के सर्वेक्षण में नीतीश बढ़त बनाए हुए हैं। लेकिन जब रैली की बात होती है और भीड़ की तो जमीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाजी मार लेते हैं।
समस्तीपुर में लोगों की बातचीत से पता चला कि मामला इस बार आसान नहीं है। राजनीतिक पंडित जो कहें जनता इस बार हर एक कोण पर विचार कर रही है। यहां सब्जी मंडी में एक महिला ने कहा कि लोकसभा चुनाव देखे, अब विधानसभा देख रहे हैं, इसके बाद मुखिया का चुनाव भी होगा। तो मतलब खाली चुनाव। हमलोगोंकी सरकारी सुविधा का खाली खिलौना थमाकर नेता सेब हेलीकाप्टर से उड़ जाते
हैं। हम सब बुड़बक थोड़े हैं। विरोध भी कर सकते हैं हम सब। हालांकि ऐसी बातें हर जगह सुनने को मिलती है और हर चुनाव में ऐसी बातें होती है मतदाताओं की ओर से लेकिन जमीन पर छानबीन करने पर लगता है कि अब हम सब चालाक हो गए हैं । नापतौल कर बोलते हैं और हर किसी को खुश रखने की जुगत में रहते हैं। बाद बांकी जो है सो तो हइए है।
चुनाव की बातें करते वक्त हम अक्सर नेताओं की बात करते हैं लेकिन असली बात तो मतदाताओं की होती है। मतदाताओं के मन को समझने के लिए उनसे बतकही करने की जरुरत होती है। एक समाचार एजेंसी में काम करने वाले हमारे पत्रकार मित्र इन दिनों बिहार के दौरे पर हैं। उन्होंने बाताया कि लोगबाग इस बार प्रतिक्रिया बेहद नाप-तौल कर दे रहे हैं।
समस्तीपुर में एक कालेज में पढ़ने वाले छात्र रमेश आर्य ने बाताया कि उन्हें राजनीति शास्त्र में दिलचस्पी है। उन्होंने बताया कि आप भले चौक चौराहों पर लोगों की बात सुन रहे हैं लेकिन क्या आपको समस्तीपुर का
इतिहास पता है? रमेश ने बताया कि यह कर्पूरी ठाकुर का विधानसभा क्षेत्र रह चुका है, जिनके नाम पर राजनीतिक दल के लोग फसल लूट रहे हैं।
गौरतलब है कि समस्तीपुर विधानसभा सीट से कर्पूरी ठाकुर 1980 में विधायक रहे थे। इस सीट पर मौजूदा समय में आरजेडी के अख्तरुल इस्लाम सहीन विधायक हैं, जिन्होंने 10 सालों तक विधासक रहे रामनाथ ठाकुर को 2010 में नजदीकी मुकाबले में 1,827 मतों से हराया था। समस्तीपुर में बागी, शाहपुर बघौनी,
आधारपुर जैसे इलाके आते हैं। यहां 2000 से 2010 के बीच रामनाथ ठाकुर जीतते रहे।
समस्तीपुर जाने के क्रम में हमें साइकिल सवार छात्र ने कल्याणपुर जाने की नसीहत दी थी। इसलिए हमने समस्तीपुर बाजार में एक चाय दुकान पर लोगों से कल्याणपुर के बारे में पूछा। बुजुर्ग रामावतार शर्मा ने बताया कि बौआ, कल्याणपुर में मुकाबला चाचा-भतीजा के बीच है।
दरअसल कल्याणपुर में एक तरफ जहां राम विलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज लोजपा के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं, तो दूसरी ओर रिश्ते में उनके चाचा जनता दल (युनाइटेड) के उम्मीदवार व पूर्व सांसद महेश्वर हजारी चुनौती दे रहे हैं। समस्तीपुर के सांसद रामचंद्र पासवान सांसद हैं।
रामावतार शर्मा बताते हैं कि किस तरह राजनीति में रिश्तों को भी भुनाया जाता है। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव जैसी स्थिति अभी नहीं है। उनका इशारा मोदी लहर की तरफ था। शर्मा जी ने बताया कि लोगबाग वैसे तो मोदी की बातें कर रहे हैं लेकिन मन में नीतीश कुमार हैं। चाय की चुस्की लेते हुए
वहीं बैठे योगानंद ठाकुर ने कहा कि नीतीश सब मामले में ठीक हैं लेकिन लालू से उन्होंने जो गठबंधन कर लिया न, हमलोगों का मन टूट गया। बाद बांकी उन्होंने काम तो जबरदस्त किया है। सड़क, बिजली सब कुछ बदल चुका है बिहारमें।
इन तमाम राजनीतिक गणित की पहेलियों के बीच सर्वे भी हो रहे हैं कि कौननेता कितना लोकप्रिय है। लोकप्रियता के ग्राफ में नीतीश कुमार अभी भी आगे हैं। विभिन्न मीडिया ग्रुपों के सर्वेक्षण में नीतीश बढ़त बनाए हुए हैं। लेकिन जब रैली की बात होती है और भीड़ की तो जमीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाजी मार लेते हैं।
समस्तीपुर में लोगों की बातचीत से पता चला कि मामला इस बार आसान नहीं है। राजनीतिक पंडित जो कहें जनता इस बार हर एक कोण पर विचार कर रही है। यहां सब्जी मंडी में एक महिला ने कहा कि लोकसभा चुनाव देखे, अब विधानसभा देख रहे हैं, इसके बाद मुखिया का चुनाव भी होगा। तो मतलब खाली चुनाव। हमलोगोंकी सरकारी सुविधा का खाली खिलौना थमाकर नेता सेब हेलीकाप्टर से उड़ जाते
हैं। हम सब बुड़बक थोड़े हैं। विरोध भी कर सकते हैं हम सब। हालांकि ऐसी बातें हर जगह सुनने को मिलती है और हर चुनाव में ऐसी बातें होती है मतदाताओं की ओर से लेकिन जमीन पर छानबीन करने पर लगता है कि अब हम सब चालाक हो गए हैं । नापतौल कर बोलते हैं और हर किसी को खुश रखने की जुगत में रहते हैं। बाद बांकी जो है सो तो हइए है।
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