सुरेश कहते हैं 'आगे बढ़ता रहे बिहार, फिर एक बार नीतीश कुमार' इस नारे से हमको क्या मिलेगा? यहीं एक चाय दुकान पर हमारी मुलाकात होती है एक छात्र अरविंद सिंह से। वे बताते हैं कि अब आप कोई सवाल करिएगा तो हम पहले ही भांप लेते हैं कि आप पूछना क्या चाहते हैं। अरविंद ने कहा कि चुनाव के वक्त मीडिय़ा की सक्रियता हम सभी के भीतर सोए पत्रकार को जगा देती है साथ ही हम जैसे अनाड़ी को भी चुनावी गणित समझ आने लगता है।
बेगूसराय में हमारी मुलाकात एक हकीम साहब से होती है। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि बिहार में नीतीश फिर सत्ता में आएं। उन्होंने कहा, ''जहां बिहार है, वहां बहार है। इसके बाद भी बिहार की जनता को लोग बेवकूफ कहते थे, लेकिन नीतीश ने इस धारणा को उलट दिया है। हम चाहेंगे कि नीतीश फिर मुख्यमंत्री बनें।''
हकीम साहेब जहां कहते हैं कि भाजपा गठबंधन में भी जगह-जगह विरोध है। वहीं यहां बस स्टेंड के करीब एक चाय दुकान पर रमेश साहनी से मुलाकात होती है। वे कहते हैं कि गठबंधन में सब कुछ अनुकूल नहीं होता है। सामने वालों का भी बराबर का ध्यान रखना पड़ता है।'
मोदी को लेकर लोगबाग खूब बात कर रहे हैं। यहां एक चौक पर कुछ लोग बतकहीकर रहे थे, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही बात हो रही थी। किताब दुकान चलाने वाले मिथिलेश कहते हैं कि प्रधानमंत्री जी ने जितनी रैली महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और दिल्ली में नहीं की होगी उससे ज्यादा बिहार में करने जा रहे हैं। यहीं पान की दुकान पर एक बूढ़ी महिला मिलती है। तबांकू खरीदने आई उस महिला से जब हमने बात की शुरुआत की तो उन्होंने कहा- बौआ, इलेक्शन टाइट छै। इंदिरा आवास दिला सकते हैं आप...खाली लोग से
बात करते हैं कि कुछ काम भी करते हैं”
उधर, जीतन राम मांझी का कहना है कि बिहार चुनाव में राजग (एनडीए) के सभी सहयोगी दलों में वे ‘सबसे लोकप्रिय चुनाव प्रचारक’ हैं। उन्होंने यह भी दावा किया है कि चुनाव में राजग के अन्य घटक दलों के मुकाबले उनकी पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। उनका दावा है कि हर जगह लोग उन्हें देखना चाहते हैं। मांझी ने दावा किया कि गरीब लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा है कि लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख राम विलास पासवान ने उनसे अनुरोध किया कि वह अलौली में टेलिफोन के माध्यम से एक चुनावी सभा को संबोधित करें। अलौली से पासवान के भाई और लोजपा के प्रदेशाध्यक्ष पशुपति पारस चुनाव लड़ रहे हैं। सचमुच राजनीति में दावों का बड़ा महत्व होता है। बिहार में तो अभी हर कोई दावा ही कर रहा है।
इन सबके बीच हाजीपुर समाहरणालय मुख्य द्वार के समीप बुधवार को उस समय अजीबो गरीब स्थिति उत्पन्न हो गयी जब राघोपुर विधानसभा का एक निर्दलीय प्रत्याशी सुभाषचंद्र यादव भैंस पर अपना नामांकन करने पहुंच गए स्थिति तब और बिगड़ गयी जब गेट पर पहुंचते ही भैंस बिदक गयी। प्रत्याशी की दलील
सुनने लायक है। उन्होंने कहा कि वह खांटी यादव हैं, इसी कारण भैंस पर सवार होकर वह अपना नामांकन करने पहुंचे थे। राजनीतिक गलियारे से निकलकर यदि आप चौक-चौराहों पर जाएंगे तो यह कहानी खूब सुनने को मिलेगी। लोगबाग मिर्च-मसाला लगाकर भैंस वाली कहानी सुना रहे हैं। बाद बांकी जो है सो तो हइए है।
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