Sunday, December 04, 2011

लेना होगा जनम हमे कई-कई बार...#DevAnand


सिनेमा, जो हमें पर्दे पर जीवन को दिखता है। हम मुस्कुराते हैं, हम रोते हैं, हम जश्न मनाते हैं और इसी बीच सिनेमा खत्म हो जाता है लेकिन इन सबके बावजूद सिनेमा हमारे अंदर- जन्म-जन्मांतर तक बना रह जाता है। एक छाप की तरह.. छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाय के..की तरह।

आज सुबह जब पता चला कि सदाबहार देव आनंद ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया तो मानो एक साथ मन के भीतर रखे एक बक्से के सभी ताले खुल गए। मैं खुद से कहने लगा-
देव साब, आपने ही हमें हर फिक्र को धुएं में उड़ाना सीखाया। देव साब, आपने ही हमें बरबादियों का जश्न मनाने का फार्मूला दिया...देव साब आप ही हमारे गाइड हैं और हमेशा रहेंगे। अब हम कैसे कहेंगे-गाता रहे मेरा दिल..।

हमारे घर में सिनेमा को लेकर एक अजीब स्थिति हमेशा बनी रही। आप कह सकते हैं कि सिनेमा हमारे घर में बंदिश की तरह आती थी। हमें सिनेमा से दूर रखा जाता था, मानो यह कोई गलत काम हो। ऐसे में सिनेमा के प्रति हमारा राग और बढ़ता चला। लेकिन इन बंदिशों के बावजूद तीन नायक हमारे घर में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे। ये थे राज कपूर, संजीव कुमार और सदाबहार देव आनंद

ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन के जमाने में जब भी दूरदर्शन पर इन नायकों की फिल्में दिखाई जाती थी तो हम सब टकटकी लगाए कहानी में अपने-अपने अक्श ढूंढने बैठ जाते थे। याद आती है एक रात, जब दूरदर्शन पर गाइड फिल्म का प्रसारण हो रहा था, हम सब फिल्म में डूबते जा रहे थे। फिल्म के जरिए देव साब हमारे अंदर एक ऐसे नायक के तौर पर स्थापित हो गए, जो जीवन मे ढेर सारे प्रयोग करना जानता है, जिसे पता है कि उनके अंदर अदम्य साहस की पूंजी है, जिसके बदौलत हर के भीतर का नायक जीवन के झंझावतों से लड़ सकता है।

आज, सुबह-सुबह उस नायक के दुनिया छोड़ देने की खबर ने हमें एक पल के लिए अचंभित कर दिया लेकिन दूसरे पल ही उन पर फिल्माए गीतों की रंगोली दिमाग में रंग डालने लगी। चाय का कप हाथ में अस्थिर होने लगा..टेलीविजन स्क्रीन से आवाज आने लगी-
जीवन के सफर में राही, मिलते हैं बिछड़ जाने को और दे जाते हैं यादें तन्हाई में तड़पाने को...।

देव साहब, आपने हमें जीना सीखाया है..आप सचमुच में आनंद हैं..देव हैं..शुक्रिया।

6 comments:

Sandeep said...

oh !! fantastic actor Dev anand sir was and a very good fighter against ageing but ultimately ageing won as usual . Let his soul rest in peace. LONG LIVE his acting and charishma

Anonymous said...

गिरीन्द्र बाबू,
इत्तेफाक से आज न्यूज नहीं पढ़ा या देखा था...अभी ऐसे ही gmail पर आपका caption देखा तो सन्न रह गया...देव साहब के बारे में....फिर आया अपने इस पसंदीदा ब्लॉग पर.

मै जिंदगी का साथ निभाता चला गया....

Rahul Singh said...

अंत तक एक सक्रिय युवा बने रहने की प्रेरणा हमारे साथ रहेगी.

राजेश उत्‍साही said...

देव साहब अपनी फिल्‍मों के कारण सदा ही हमारे बीच बने रहेंगे।

Unknown said...

जोश। जुनून। ज़िंदादिली। सदाबहार। खुशमिज़ाज। देव साहब के नाम के पीछे इस तरह के जो जो विशेषण याद आए लगा दीजिए। ज़्यादा नहीं होगा।

संजय भास्‍कर said...

देव साहब जिंदादिल इंसान थे