15 जून, शाम 6 बजे, कुछ युवा छात्रों, पत्रकारों को सेन्ट्रल पार्क (सी.पी -दिल्ली) में जमा होना था। मौसम सुहाना था, रिम-झिम बारिस बंद हो चुकी थी। इस कारण युवा छात्रों, पत्रकारों की संख्या बढ़ गयी। तकरीबन 35-40 की संख्या हो गयी। इन सभी में उत्साह की कमी नहीं थी, अपितु कुछ करने का जज्बा इन लोगों में साफ झलक रहा था। कह सकते हैं कि सभी की जुबान तो नरम थी लेकिन तासिर एकदम गरम..। अब बात पते की हो जाए, दरअसल सभी के इकट्ठा होने का खास मकसद था। चार पन्नों की एक जीवंत विचार अखबार का लोकार्पण होना था।
अखबार को सबके सामने पेश किया गया। “मीडिया स्कैन” नाम का यह अखबार खासतौर पर इन्हीं लोगों का है। पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने वाले इन नौजवानों की कलम मीडिया स्कैन के पहले अंक में जलवा बिखेरती नजर आयी। “मीडिया स्कैन” के अंतिम पृष्ट पर दो लेख किसी का भी ध्यान अपनी ओर खिंच सकते हैं। “पत्रकारिता के छात्र की डायरी” और “शोषण वाया बेगार गाथा....” एक अलग दुनिया से पढ़ने वालों को रु-ब-रु करा सकता है। आनंद कुमार और रुद्रेश नारायण की यह प्रस्तुति सचमुच लाजबाब है।
दिल्ली जैसे महानगर में जिसे मीडिया का मक्का कहा जाता है, वहां मीडिया का स्कैन करना आखिर क्या कहता है.... ? दरअसल इस क्षेत्र में पांव पसारने के लिए कैसे-कैसे पापड़ बेलने पड़ते हैं...(वाकिफ तो होंगे हीं..)। वहां आए एक पत्रकारिता के छात्र ने बेबाक लहजे में बताया- “दिल्ली ऊंचा सुनती है ........।”
यह पहला अंक है, अभी इसे काफी आगे बढ़ना है। कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। लेकिन इन नौजवानों के आंखों में उमड़ते सपने साफ तौर पर इशारा कर रही थी कि मीडिया स्कैन काफी दूर तक अपना जलवा बिखेरेगी।
अंत में-
“गज़ब ये है कि अपनी मौत की आहट नहीं सुनते
वो सब के सब परीशां है,वहां पर क्या हुआ होगा
यहां तो सिर्फ गूंगे और बहरे लोग बसते हैं
खुदा जाने यहां पर किस तरह का जलसा हुआ होगा..”
-दुष्यंत कुमार
-(यदि आप इच्छुक हैं)
मीडिया स्कैन की प्रति के लिए आप संपर्क कर सकते हैं-
माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता संस्थान, नोएडा-9868743411
भारतीय विद्या भवन- 9971686971
श्री गुरूनानक देव खालसा कालेज- 9911307468
अंबेदकर कालेज- 9968044312
7 comments:
It's really tremedous. A true journalism is different from what we are seeing in day-to-day life in metropolitan cities. I am a newspaper-hawker tuned journalist.
As a post-graduate student of the famed Patna University in Bihar, I paddled through Patna’s streets for over eight years, beginning 1968, to deliver newspapers from house to house right from the daybreak before and joined as copy-holder at a Patna-based newspaper The Indian Nation in 1975 soon after I did my matriculation from Bihar School Examination Board to earn bread for his parents, brothers and sisters.
Once I tasted journalism in Bihar and West Bengal, it did not take long to turn out to be an addiction.
In 1988, he was spotted and marked by eminent journalist MJ Akbar who took me through the mainstream journalism by putting me as a stringer of The Telegraph, the newspaper, Akbar had launched as an editor. Thereafter, I have gone on to work under the finest editors India has known like Vir Sanghvi (SUNDAY), HK Dua, Prabhu Chawla and Shekhar Gupta (The Indian Express), CR Irani (The Statesman), MJ Akbar (The Asian Age). Besides such privileges, I have the honour of working for ANI (TV), Dainik Bhaskar and Sahara Time as well.
What the Press Trust of India (PTI) in Shehnai maestro Ustad Bismillah Khan’s National Obituary has said: "Four years ago, when the Ustad did not have money and resources to meet the cost of his needs, the then government arranged for his performance at Parliament Annexe, where Khan Sahib had to virtually give a charity show for his own benefit.
It was then that Neena and Shivnath Jha, who had launched a programme to protect musicians, academicians and artists who brought pride and laurels to the nation, thought of bringing out a monograph on the life and art of the Ustad to extend financial support to him.
Their movement gained a victory of sorts after the Ministry of Home Affairs, Government of India allowed the Jha couple to invite the Ustad to play 'Tune India' from the India Gate to pay tribute to the 'unsung heroes of World War-I and for the global peace and security' and fulfill his last wish. But the fate did not allow the Ustad despite extension of the programme thrice.”
After the ustad's monograph, this hawker-tuned journalist compiled and published India Calling - in commemoration of India entering 60th year of independence and monograph on Lalu Prasad:India's Miracle.
Friends, be a good journalist. Think for better, think for society and down-trodden. Rgds, Shivnath Jha 9810246536
अच्छा गिरीन्द्र जी,
मीडिया पर नजर रखने के लिए मीडिया स्कैन......
अच्छा है..नए पत्रकारों का नए जोश के साथ नया प्रयोग...
मीडिया के इस मक्के में एक स्कैनर की तो जरुरत वास्तव में, देखते हैं यह स्कैनर अपना जलवा किस तरह बिखेरती है...
मीडिया स्कैन की हौसला अफजाई के लिय गिरिन्द्र भाई शुक्रिया। आपने बड़ी खूबसूरती के साथ मीडिया स्कैन को स्कैन किया। बस हमारे आपके नज़रिया मे ज़रा सा फर्क आ गया , वह यह कि जिसे आपने अखबार की संज्ञा दी है, उसे हम अखबार मानते ही नहीं। वह हमारे लिय चार पृष्ठ ही है। और आप चाहे तो इसे चार पेज से शुरू हुआ आंदोलन भी कह सकते है। खैर, मीडिया स्कैन को आपसे जो मोहब्बत मिली है वह हमारे लिय अनमोल है.....
मीडिया स्कैन - धारदार अपेक्षित आवाज जिसके प्रयास में सफलता, उत्साह में जागरुकता और उमंग में प्रसन्नता विद्ममान है।
rajivats@gmail.com
9818444095
आशीष से मीडिया स्कैन की प्रति मिली थी। आद्योपांत पढा। वाकई, नवांकुरों का यह प्रयास सराहनीय है। अधिकांश साथियों को मैं जानता हूं। सभी धुन के पक्के हैं। बाजारवादी मीडिया का नतीजा हम सब भुगत रहे हैं। देश को वैकल्पिक मीडिया की सख्त आवश्यकता है। हालांकि यह मुश्किल दिख रहा है। फिर भी उम्मीद तो की ही जा सकती है। चार पेज की निरंतरता बनी रहे, यही शुभकामना प्रेषित करता हूं।
अच्छा मीडिया स्कैन किया…
अंत में दुष्यंत कुमार की रचना पढ़कर मजा आ गया।
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