(मेरे एक मित्र ने पूर्णिया से यह पाती भेजी है )
सरकार एक ओर बालिकाओं में शिक्षा की अलख जलाने के लिये साइकिल वितरण व पोशाक वितरण योजना की शुरूआत कर रही है। पूर्णिया में ऐसे भी स्कूल है जहां छात्राओं के हाथों में झाड़ू थमा देते है।
किसी के आने पर छात्र ही कक्षा छोड़ कर गेट का ताला खोलने जाते है। जिलाधिकारी ने कहा मामले का करते है पता, जबकि डीएसई ने कहा कि प्रधानाचार्य से पूछेगे क्या है वास्तविकता।
शहर के हृदयस्थली भट्ठा बाजार स्थित प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य छात्राओं से ही स्कूल परिसर में झाड़ू दिलाने का काम लेते है। किसी के आने पर छात्र ही स्कूल का गेट खोलते है। बच्चों के अभिभावक बेटियों को शिक्षा ग्रहण के लिये भेजते है, और स्कूली प्रबंधन उन्हे स्वीपर बना देते है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य सह बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष कृष्णानंद सिंह कहते है कि स्कूल में आदेशपाल है ही नहीं। ऐसे में छात्र अगर झाड़ू लगाने का काम नहीं करेंगे तो कौन करेगा। विभाग की ओर से आदेशपाल स्कूल को नहीं दिये गये है। सफाई का ध्यान तो रखना ही है।
उन्होंने यह भी कहा कि सफाई पढ़ाई का ही एक विषय समान है। एक विषय समझ कर छात्रों से स्कूल परिसर में सरेआम झाड़ू दिलाने का काम लिया जाना शायद स्कूल प्रबंधन की मजबूरी बनी हुयी है। मध्य विद्यालय में आदेशपाल नहीं होने के कारण उनके पास इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं है।
कक्षा के बीच में ही अगर कोई स्कूल में आता है तो छात्र को ही चाभी लेकर गेट खोलने को भेजा जाता है। प्रधानाचार्य की अगर मानें तो शायद यह भी छात्रों के विषय का एक हिस्सा होगा।
2 comments:
सुन्दर! साफ़!
अजब हालत है.
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