Saturday, May 19, 2007

ब्लेयर की तेज रफ्तार तरक्की का सफर


साभार बीबीसी हिन्दी सेवा...

(आदिविद्रोही जी ने चेताया तो ध्यान गया)
आज हम बात कर रहे हैं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ब्लेयर की, इनका सफर राजनीति के गलियारे में कैसा रहा,और अपनी निजी जिन्दगी में ये कैसे हैं.
भले 'आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई' में इन्होने अमेरिका का भरपूर साथ देकर गलत या सही जो किया ..वह तो बहस का मुद्दा है. यहां ब्लेयर एक व्यक्ति के रूप में मैंने पेश किया है.
उनकी तेज रफ्तार तरक्की का सफर


ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर शुरूआत से ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे हैं, दस वर्षों तक ब्रिटेन में सत्ता के शीर्ष पर रहे 54 वर्षीय ब्लेयर देश के इतिहास के सबसे युवा प्रधानमंत्रियों में रहे हैं।
मई 1953 में एडिनबरा के एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे ब्लेयर स्कूल के शरारती बच्चों में गिने जाते थे और उनके टीचर उनसे अक्सर परेशान रहते थे, कॉलेज के दिनों में वे एक पॉप बैंड में शामिल हो गए थे जहाँ उन्होंने काफी हुडदंग मचाई।
टोनी ब्लेयर के बचपन के कुछ साल ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में बीते हैं, जहाँ सिटी यूनिवर्सिटी में लियो प्राध्यापक थे।
ब्लेयर स्कूल में बहुत शरारती थे : ब्लेयर के शिक्षक उन्हें एक उत्पाती, विद्रोही और प्रतिभाशाली छात्र के रूप में देखते थे, जिसे अभिनय का बहुत शौक़ था और अपने साथियों के बीच जिसकी इमेज 'कूल' लड़के की थी। उनके एक टीचर एरिक एंडरसन उन्हें याद करते हुए कहते हैं कि टोनी ऊर्जा से भरा हुआ था, अक्सर दिमाग़ खराब कर देने की हद तक शरारती उसमें काफी गुरूर था और बहस बहुत करता था।
वे कहते हैं कि टोनी को नियमों की सीमारेखा जाँचने का बहुत शौक़ था। वह बिजली के खुले तार की तरह था, करंट से भरपूर, उसके साथ वक़्त बिताना बहुत मजेदार होता था। सत्रह वर्ष की उम्र में लगातार नियमों का उल्लंघन करने की वजह से टोनी ब्लेयर को स्कूल से निकाल दिए जाने की धमकी दी गई। कुछ वर्षों बाद ब्लेयर काफी संभल गए और उन्होंने क़ानून की पढ़ाई ऑक्सफर्ड से पूरी की।

घमंडी ब्लेयर :

टोनी ऊर्जा से भरा हुआ था, अक्सर दिमाग खराब कर देने की हद तक शरारती उसमें काफी गुरूर था और बहस बहुत करता था।


टोनी ब्लेयर के टीचर :

टोरी पार्टी के नेता लियो ब्लेयर के पुत्र एंथनी चार्ल्स लिंटन ब्लेयर यानी टोनी ब्लेयर का करिश्मा तो उनके शुरूआती वर्षों में भी दिखता था लेकिन वे राजनीति की ओर रुख करेंगे और उसके शीर्ष तक पहुँचेंगे ये कम ही लोगों ने सोचा था।

ब्लेयर कॉलेज के दिनों में संगीत में बहुत दिलचस्पी रखते थे और उनका एक बैंड भी था जिसका नाम था--'अगली रयूमर्स' ब्लेयर में सिगरेट पीने के अलावा और कोई बुरी लत नहीं थी। 1970 के दशक में ब्रिटेन में ड्रग्स का बड़ा जोर था उस दौर में ब्लेयर उससे बचे रहे लेकिन कई दोस्तों ने शराब पीकर उनके लुढ़कने की घटनाओं का जिक्र किया है।

उनकी सिगरेट उनकी पत्नी चेरी ब्लेयर ने छुड़वा दी, उन्होंने अपने जीवन की अंतिम सिगरेट 1980 में अपनी शादी के 15 मिनट पहले पी थी। अपनी शादी के बाद ब्लेयर पूर्वी लंदन में बस गए जहाँ उन्होंने लेबर पार्टी की राजनीति में हिस्सा लेना शुरू किया।

राजनीतिक करियर :
ब्लेयर अपना पहला संसदीय चुनाव 1981 में बेकन्सफ़ील्ड से लड़े मगर जीत उन्हें नहीं मिली, लेकिन इस चुनाव में उन्होंने लेबर पार्टी के कई बड़े नेताओं को बहुत प्रभावित किया।


1994 में लेबर पार्टी के अध्यक्ष बने :

1983 में उन्हें सेजफील्ड से चुनाव लड़ने का मौक़ा मिला और इस सुरक्षित लेबर सीट पर वे भारी बहुमत से जीतकर पहली बार संसद पहुँचे। टोनी ब्लेयर की पत्नी भी 1983 का चुनाव लड़ीं थीं लेकिन हार गईं, उसके बाद उन्होंने अपना सारा ध्यान वकालत पर लगा दिया।

इस बीच ब्लेयर को गॉर्डन ब्राउन और पीटर मैंडलसन जैसे सहयोगी मिले जिनकी मदद से उन्होंने लेबर पार्टी में बदलाव की मुहिम तेज की। टोनी ब्लेयर ने 1990 का दशक आते-आते प्रधानमंत्री बनने का सपना देखना शुरू कर दिया।

इस बीच उन्होंने अपनी छवि को निखारने के लिए हरसंभव कोशिश की, एक पत्रकार एलेस्टर कैंपबेल को अपना मीडिया सलाहकार बनाया और जमकर तैयारियाँ कीं। 1994 में वे लेबर पार्टी के अध्यक्ष बने और 1997 में भारी जीत के साथ ब्रिटेन के 200 वर्षों के इतिहास में सबसे युवा प्रधानमंत्री।

दूसरा कार्यकाल :

ब्लेयर ने अपने पहले कार्यकाल में सबसे अधिक ध्यान अपनी और पार्टी की छवि पर दिया, उन्होंने 2001 का चुनाव भारी बहुमत से जीत लिया और शुरू हुआ प्रधानमंत्री के रूप में उनका दूसरा कार्यकाल।


ग्यारह सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए हमले ने उनकी राजनीति का फोकस बदल दिया, वे अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के और करीब आ गए। वर्ष 2003 में जब अमेरिका ने बिना संयुक्त राष्ट्र की मंजूरी के इराक़ पर हमले का फैसला किया तो ब्लेयर मजबूती के साथ बुश के समर्थन में डटे रहे।

इराक युद्ध की वजह से उनकी लोकप्रियता में कमी आई और उन्हें लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उनके मंत्रिमंडल के निकट सहयोगियों रॉबिन कुक और क्लेयर शॉर्ट ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया।

इसके बाद से ब्लेयर लगातार अंदरूनी दबाव का सामना करते रहे, उनके ऊपर पार्टी के लिए चंदा लेकर धनी लोगों को हाउस ऑफ लार्ड्स का सदस्य बनाने का आरोप लगा। वे ब्रितानी इतिहास में पहले प्रधानमंत्री थे जिनसे पुलिस ने किसी आपराधिक मामले में पूछताछ की।

1 comment:

आदिविद्रोही said...
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