चनका के लिए आज शुभ दिन है। केंद्र की ‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन’ के तहत 2018 में श्रीनगर प्रखंड के खोखा कलस्टर का चुनाव हुआ था, जिसमें चनका, खोखा उत्तर, खोखा दक्षिण और खुट्टी धुनैली पंचायत शामिल है।
इस कलस्टर के विकास के लिए केंद्र सरकार ने नौ करोड़ की राशि जारी कर दी गई है। आज जिलाधिकारी राहुल कुमार Rahul Kumar का बयान जब अख़बार में पढ़ने को मिला कि " श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के अंतर्गत चयनित पंचायतों का होगा सर्वांगीण विकास " तो बस इस एक वाक्य को पढ़कर यही मन कह उठा - " कोई बीज उम्मीद के बो रहा है ..."
हम लोगों के लिए यह ख़ास पल है। हम उन लोगों के भी आभारी हैं जो कठिन परिस्थितियों में भी चनका पहुँचे। इस योजना के तहत यदि सबकुछ होता है तो चनका और कलस्टर में शामिल गाम - घर सचमुच में चमक जाएगा। ग्रामीण स्तर पर सही अर्थों में विकास कार्य होने से बहुत कुछ बदलाव देखने को मिलेगा।
चनका को लेकर लगातार लिखते हुए कभी -कभी लगता था कि कोई सुनेगा भी क्या? हमने ‘योजना’ और ‘कुरुक्षेत्र’ जैसी सरकारी पत्रिकाओं में भी चनका को लेकर लिखा था। तब नहीं लगा कि गाँव की परेशानी को कोई गंभीरता से लेगा लेकिन 30 जनवरी 2018 को इस कलस्टर के चुने जाने की जब ख़बर सुनी थी तो पहली बार में भरोसा ही नहीं हुआ था और आज 13 मार्च 2020 को जब अख़बार में यह ख़बर पढ़ने को मिली कि अब केंद्र की ओर से राशि जारी हो गई है तो उम्मीद को मानो पंख लग गए कि अब अपनी माटी का संपूर्ण विकास निश्चित है, बस हम सब साथ दें।
प्रधानमंत्री कार्यालय, संबंधित एप्प, सरकार की पत्रिका योजना में गांव को लेकर लेखन हो या फिर मुख्यमंत्री को चिट्ठी लगातार लिखना, इन सबकी वजह से कुछ लोग मज़ाक़ भी उड़ाते थे लेकिन आज सबकुछ अच्छा लग रहा है।
बहुत बहुत शुक्रिया पूर्णिया जिला प्रशासन। इस योजना में इन ग्रामीण इलाकों को जमीन पर बहुत कुछ नया और सुंदर देखने को मिलेगा।
रुर्बन मिशन देशभर में 5,142.08 करोड़ रुपए की लागत से चलाया जा रहा है। इस योजना के तहत प्रत्येक गांव को शहरों वाली सुविधाएं मुहैया कराई जाती है. साथ ही बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य केंद्र आदि की सुविधा ग्रामीणों को दी जाती है। इसके अलावा चयनित गांव में कौशल विकास की व्यवस्था की जाती है. इस योजना की सबसे प्रमुख बात यह है कि गांवों को क्लस्टर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा. एक क्लस्टर की आबादी 25 से 50 हजार तक रखी जाती है. केंद्र सरकार गैप फंडिंग पर कुल खर्च का 30 फीसदी अपने बजट से देय करेगी. इस मिशन के तहत स्मार्ट गांवों का समूह विकसित किया जा रहा है. मिशन के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल और स्थानीय उद्यमिता तथा आर्थिक गतिविधियों को शुरू किया जाता है.
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