चनका को लेकर लगातार कुछ न कुछ करते रहने की ज़िद को आज एक मुक़ाम हासिल हुआ है। केंद्र की ‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन’ के तहत चनका को चुना गया है। सोचता हूँ तो याद आता है पिछले पाँच साल में मैंने किस मंच पर चनका की बात नहीं की ? किस-किस से क्या नहीं माँगा चनका के लिए?
चनका रेसीडेंसी के लिए यह ख़ास पल है। हम उन लोगों के भी आभारी हैं जो कठिन परिस्थितियों में भी चनका पहुँचे।इस योजना के तहत यदि सबकुछ होता है तो चनका सचमुच में चमक जाएगा। ग्रामीण स्तर पर सही अर्थों में विकास कार्य होने से बहुत कुछ बदलाव देखने को मिलेगा।
चनका को लेकर लगातार लिखते हुए कभी -कभी लगता था कि कोई सुनेगा भी क्या? हमने ‘योजना’ और ‘कुरुक्षेत्र’ जैसी सरकारी पत्रिकाओं में भी चनका को लेकर लिखा था। तब नहीं लगा कि गाँव की परेशानी को कोई गंभीरता से लेगा लेकिन कल जब यह ख़बर कान तक पहुँची तो पहली बार में भरोसा नहीं हुआ।
इस विशेष योजना के तहत यदि चनका को विकसित किया जाता है तो मुझे लगेगा कि चनका लौटने और चनका रेसीडेंसी की शुरुआत करने से केवल मेरा ही साहित्यिक, मेरी ही अपनी खेती का विकास नहीं हुआ बल्कि चनका को भी सचमुच में भौतिक रूप में कुछ बड़ा मिला।
प्रधानमंत्री कार्यालय हो या फिर मुख्यमंत्री को चिट्ठी, लगातार लिखने की वजह से कुछ लोग मज़ाक़ भी उड़ाते थे लेकिन आज सबकुछ अच्छा लग रहा है।
चनका रेसीडेंसी ने अपने पत्रकारीय पेशकश देहाती आवाज़ में चनका से 10 किमी दूर स्थित सुरहा घाट का दर्द बताया था। इस मिशन के कवरेज एरिया निर्धारण में उस घाट को सीमा बनाया गया है। चनका के अलावा ख़ुट्टी धुनैली, खोखा उत्तर और खोखा दक्षिण पंचायत को भी चुना गया है।
‘ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन’ के तहत चनका को यह सौग़ात देने के लिए हम पूर्णिया के ज़िलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और सांसद के आभारी हैं।
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आपने बहुत ही अच्छा लेख लिखा है। रोज भारत का खबर पढ़ने के लिए इस वेबसाइट को देखें। Latest News by Yuva Press India
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