Wednesday, July 12, 2017

बिहार-बंधन !

पटना में बैठकों का दौर और फिर चौक-चौराहे पर सरकार की बात। दो दिन से यही देख-सुन रहा हूं।  हर कोई टूटने -बिखरने की बात करते मिले, लिफ़्ट से लेकर सड़क तक। कल देर शाम एक होटल के कर्मचारी ने कहा - "भैया, टूटने के लिए ही राजनीति में गठबंधन होता है! "

 उधर, राजनीतिक गलियारे में अंदर ही अंदर सबकुछ चल रहा है। अब जो करेंगे नीतीश कुमार ही करेंगे, यह तो तय है। वैसे पटना में  इस बार एक नया मुहावरा मिला- " ई पार चाहे ऊ पार, नीतीशे कुमार "

हालाँकि राजनीति  का व्याकरण बड़ा जटिल होता है। हमलोग एक मुहावरा सुनते आए हैं- " राजनीति का व्याकरण सोलह दूनी आठ ! "

उधर, पटना में बारिश भी रुक-रुक हो रही है। पानी हर जगह दिख रहा है, कीचड़ भी। वैसे वीरचंद पटेल मार्ग पर कीचड़ नहीं दिखा। पटना को स्थिरता तो चाहिए, पटना के सरकार बहादुर की स्थिरता से राज्य के ज़िला, प्रखंड और पंचायतों में स्थिरता आएगी। उधर, फ़ेसबुक से पता चला कि किसी चैनल  के पत्रकार  के साथ पटना में हाथापाई हुई। यह सब ठीक नहीं। पत्रकार ख़बर लिखें, पढ़ें, दिखाएँ, सुनाएँ और सत्ता के सफ़ेद कलफ़ वाले कुर्ता-पायजामा वाले बिहार में बहार लाने के लिए काम करें।

बाद बांकी जो है सो तो हईये है। तीर, लालटेन, कमल तो आता जाता रहेगा, बस बिहार स्थिर रहे।

1 comment:

pushpendra dwivedi said...

WAAH BAHUT KHOOB BEHTAREEN RACHNA