Friday, May 05, 2017

इन सबका दुःख गाओगे या नहीं- भवानीप्रसाद मिश्र

इस बार शुरू से धरती सूखी है
हवा भूखी है
वृक्ष पातहीन हैं
इस बार शुरू से ही नदियां क्षीण हैं,
पंछी दीन हैं
किसानों के चेहरे मलीन हैं

क्या करोगे इस बार
इन सबका दुःख गाओगे या नहीं
पिछले बरस कुछ सरस भी था
इस बरस तो सरस कुछ नहीं दीखता
इस बार क्षीणता को
दीनता की मलीनता को ,
भूख को वाणी दो
उलट-पुलट की संभावना को पानी दो

: भवानीप्रसाद मिश्र

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