Thursday, November 10, 2016

गाँव की यात्रा करिए मुख्यमंत्री जी!

नीतीश जी,
नमस्कार।

साल भर पुरानी आपके नाम लिखी तब की एक चिट्ठी की बात आज फिर से कर रहा हूं क्योंकि एक बार फिर आप यात्रा पर निकले हैं।

मुख्यमंत्री जी, बापू के सत्याग्रह की भूमि चम्पारण से आपने यात्रा शुरू की है। आपने सड़क-बिजली-साइकिल और अब शराबबंदी से सूबे को पहचान दी है। अब जब आप यात्रा पर निकले ही हैं तो गुज़ारिश है कि गाम-घर को आप देखें। बिजली-सड़क की स्थिति को आप अपनी आँखों से देखें और महसूस करें। बिहार की बड़ी आबादी जो गाँव में बसी है, उसकी नज़र आप पर है नीतीश जी।

अभी भी जब कोई सरकारी अधिकारी किसी सुदूर देहाती इलाक़े का दौरा करते हैं तो पूरे गाँव में एक भरोसे का वातावरण पैदा हो जाता है, विश्वास बहुत बड़ी चीज़ है। आप पर लोगों  भरोसा किया और सूबे की कमान आपको मिली।

आज अख़बार की ख़बर पढ़कर जब गाँव  के पलटन ऋषि  ने मुझसे पूछा 'मुख्यमंत्री जी फिर से बिहार घूम रहे हैं, गाम भी आएँगे क्या?' तो फिर से आपको यह पाती लिखने बैठ गया। चुनाव के वक़्त 'बिहार में बहार है ' की बात की गई थी। गाँव में ' बहार 'को देखने अब आपको आना होगा मुख्यमंत्री जी। यक़ीन मानिए यदि  आप अपनी यात्रा  में गाँव  में प्रवास करते हैं तो आपको अलग अनुभव होगा ही साथ ही  गाँव  का भी विकास होगा।

नीतीश जी, आपने बापू के सत्याग्रह की भूमि से निश्चय यात्रा की शुरुआत की है और बापू ग्राम स्वराज की बात करते थे। ऐसे  में आप सूबे के ग्राम पंचायतों  में प्रवास कर हक़ीक़त जान सकते हैं। गाँव  के लिए आपने जो विकासपरक योजनाएँ बनाईं हैं वह ज़मीन पर पहुँचा है या नहीं उसे देखने की ज़रूरत है। आपकी कई महत्वकांक्षी योजनाएँ गाम-घर  के लिए है।

बिहार में रोजगार का अधिक से अधिक से सृजन हो, यह आशा है आपसे। ताकि गाँव देहात से महज चार-पांच हजार रूपए कमाने के लिए कोई युवा बाहर न चला जाए। यदि आप गाँव घूमेंगे तो पलायन  की पीड़ा महसूस  पाएँगे। आप इस पर सोचियेगा नीतीश जी। भरोसा है कि आप मेरे जैसे किसान की बात सुनियेगा जिसे बिहार पर भरोसा है, अपनी माटी में भरोसा है।

माननीय मुख्यमंत्री जी एक किसान के तौर पर हम आशा करेंगे कि आप इस बार अपनी यात्रा में गाँव को मुख्य एजेन्डे में रखेंगे ताकि गाम-घर का विकास हो।

एक किसान
गिरीन्द्र नाथ झा
चनका
पूर्णिया

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