Thursday, February 25, 2016

रेल बजट, मंजर और पक्की सड़क

गाम में पहली बार पक्की सड़क बन रही है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से भी और मुख्यमंत्री सड़क योजना से भी। ऐसे में गाम घर में उल्लास का माहौल है। बड़ी-बड़ी मशीनों से मिट्टी के ढेर लगाए जा रहे हैं। हर जगह से धूल ही धूल उड़ रहा है।

पक्की सड़क के लिए गिट्टी , ट्रेक्टर -ट्रेलर में भर कर आ रहे हैं। यह सबकुछ गाम वाले पहली बार देख रहे हैं। अस्सी साल के मोती मंडल ने कहा - 'मरे काल गाम में पक्का सड़क देखब हम (मरते वक़्त गाँव में पक्की सड़क देखूँगा)

उधर, दिल्ली में आज संसद भवन में रेल मंत्री रेल बजट पेश कर चुके हैं। समाचार चैनलों पर बहस हो रही होगी, वेब पोर्टलों को रेल बजट ख़बरों से अपडेट किया जा रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से गाम की बात जब आप लोगों से साझा कर रहा हूं तो पता चला कि रेल मंत्री जी ने कहा है कि सोशल मीडिया के जरिए यात्रियों को सुविधाएं पहुंचाई जाएंगी। अभी यात्री सोशल मीडिया के जरिए जो शिकायत करते हैं उन पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि 2020 तक आम आदमी की ज़रूरतों को पूरा किया जा सकेगा। वैसे मंत्री जी किराया नहीं बढ़ाया है। यह बढ़ियाँ बात है। हालाँकि वे देर सवेर बढ़ायेंगे ज़रूर।

लेकिन इन सबके बीच आपका किसान गाँव की नई सड़क और आम-लीची में आए मंजर की बात करने बैठा है। रेल की बात तो हर कोई कर रहा है लेकिन मुझे आम में आए नए मंज़रों को देखकर रहा नहीं जा रहा है।

रेलवे की लाइन की तरह आम बाड़ी में पंक्तिबद्ध मालदह, कलकतया, गुलाबखास, बम्बई, जर्दालू, आम्रपाली गाछों में मंज़र देखकर मन चहकने लगा है। लीची में भी मंज़र हैं लेकिन आम ने इस बार बाजी मारी है।

मंज़र के आसपास तितलियाँ मँडराने लगी है। मधुमक्खी भी मँडरा रही है। हाईब्रिड नस्ल के आम के पेड़ तो और भी इठला रहे हैं। मल्लिका गाछ का मंज़र तो पत्तों पर हावी हो चुका है। हल्की बारिश हो जाए तो फिर क्या कहना! गाछ भी हरा हो जाएगा और मंज़र भी मज़बूत। वैसे यह सब प्रकृति के हाथों में है।

उधर, रेल मंत्री सुरेश प्रभु के भाषण को जब एक समाचार पत्र के वेबसाइट पर पढ़ा तो पता चला कि मंत्री जी ने कहा कि हम अगले साल 2,800 किलोमीटर के नए ट्रैक का परिचालन शुरू करेंगे। साथ ही रेलवे विद्युतीकरण पर खर्च में 50 प्रतिशत वद्धि करेंगे। अगले वित्त वर्ष में 2000 किलोमीटर रेल मार्ग का विद्युतीकरण किया जायेगा।

मंत्री जी की बातों को जब गाम के डेरे पर पालथी मारकर बैठे जोगो काका को सुनाया तो उन्होंने कहा कि यह सच है कि रेल देश को जोड़ता है लेकिन फ़िलहाल हम तो गाम को पूर्णिया से जुड़ते देखकर ख़ुशी से इठला रहे हैं, देखिए न आम -लीची में कितना सुंदर मंज़र आया है। कटहल में भी फल आ चुका है।

उधर, गाम का भोला राय कहता है -"रेल- सड़क तो होता रहेगा हमें तो आम - लीची के मंज़र को अभी सुरक्षित रखना है। देखिए न कहाँ से यह पछिया हवा शुरू हो गया, यह हवा मंज़र को कहीं उड़ा न ले जाए। हम तो चले लीची- आम गाछ में दवा छिड़काव करने...."

चलते -चलते भोला ने पूछा- "वैसे ई बताइए गाम में रेल की पटरी भी बिछेगी क्या ? मंत्री जी का नाम क्या है ? " हमने मुस्कुराते हुए कहा कि रेल मंत्री का नाम सुरेश प्रभु है । इस पर भोला ने हँसते हुए कहा - "जब 'प्रभु ' ही मंत्री हैं तो नरेंद्र मोदी क्या हैं :) "

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