Tuesday, October 06, 2015

एक किसान की चुनावी डायरी- 9

सीमांचल की राजनीति करवटें लेने लगी है। सभी दलों के नेता हवा में उड़ने के लिए अक्सर पूर्णिया स्थित वायुसेना के चुनापुर हवाई अड्डे का इस्तेमाल करने आते हैं और आते-जाते बयान भी देते हैं। चुनाव के वक्त बयानों का अपना अलग ही महामात्य है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का हाल का बयान तो सभी को याद ही होगा।
लालू के विवादास्पद बयान अभी चैनलों की टीआरपी बढ़ा ही रहा था कि तभी मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन (एमआईएम) के तथाकथित  विवादास्पद नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने गुजरात दंगों में कथित रूप से शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'जालिम' और 'शैतान' कह दिया और इस तरह वे सुर्ख़ियों में आ गए।
अकबरुद्दीन ने किशनगंज में एक सभा में कहा कि मोदी जालिम और शैतान हैं और 2002 के गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार हैं। तेलंगाना के विधायक और एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि मेरे समेत एक तबका ऐसा है जो मानता है कि 2002 के गुजरात दंगों के लिए कोई और नहीं बल्कि मोदी जिम्मेदार हैं।

गौरतलब है कि एमआईएम बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके के किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार जिलों में चुनाव लड़ रही है। राजनीति में बयान कब दिए गए, इसका महत्व है। बिहार चुनाव में तो इस बार लगता है कि सभी दलों के नेता अपनी वाणी से सभी हदें पार कर ही देंगे।

इस तरह के नेताओं के बयानों को लेकर जब हमने गाँव -देहात में लोगों से बातचीत की तो कई रोचक बातें सामने आई। एक महिला ने कहा कि नेताओं की बातों को सुनकर लगता है जैसे टोला में झगड़ा हो रहा हो, मानो किसी की बकरी को पड़ोसी ने उठा लिया हो ...। इस तरह की टिप्पणियों को सुनकर मुझे श्रीलाल शुक्ल का उपन्यास रागदरबारी याद आ जाता है।

दरअसल बयानों के चक्कर में नेताओं की बोली इतनी टेढ़ी हो जाती है कि उस पर कुछ कहना भी मुश्किल हो जाता है। इन सबके आलावा चौक चौराहों पर जिस बात की सबसे अधिक चर्चा हो रही है वह लालू के बेटे तेजेस्वी यादव का महज नौवीं पास होना है।

मेरे गाँव के राजेश महलदार की टिप्पणी सुनने लायक है। राजेश ने कहा- " मैं नौवीं पास हूँ और धान काटकर आलू लगा रहा हूँ। वहीं लालू जी के बेटे तेजस्वी मैट्रिक पास भले ना हो, लेकिन करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। रेडियो में सुने कि तेजस्वी यादव को करोड़ों रूपया है। करोड़ों में कितने जीरो होते हैं हमको ये भी नहीं पता है। "

गौरतलब है कि तेजस्वी ने 2014-15 के सालाना आयकर रिटर्न में 5,08,019 की आमदनी बताई है। उन्होंने राघोपुर सीट से नामांकन भरा है। नामांकन के साथ तेजस्वी ने शपथ पत्र भी दाखिल किया है, जिसमें उन्होंने अपने को खुद को नन मैट्रिक बताया है। आयोग के समक्ष दायर हलफनामे में तेजस्वी ने दिल्ली के मशहूर दिल्ली पब्लिक स्कूल से 9वीं तक की पढ़ाई पूरी करने का जिक्र किया है।

तेजस्वी यादव की बात और नेताओं के विवादास्पद बयानों के इतर गाम-घर की सबसे बड़ी समस्या पलायन पर कोई कुछ नहीं बोल रहा है। पलायन बिहार की सबसे बड़ी समस्या है और इसे रोकना एक बड़ी चुनौती है। लेकिन चुनाव के वक्त पंजाब से आने वाली ट्रेनों में अचानक भीड़ बढ़ जाती है। इस गणित को समझना होगा।
गाँव के सुदेश मंडल कहते हैं कि पैसा देकर बाहर काम कर रहे लोगों को लाया जा रहा है। सुदेश की बात में कितनी सच्चाई है, इसके लिए लोगबाग से लंबी बतकही करने की जरूरत है। ऐसा लोकसभा चुनाव के वक्त भी सुना था जब पंजाब में बिहार के कामगारों को वोट डालने के लिए आकर्षित किया जा रहा था। आम्रपाली एक्सप्रेस के जनरल बागी में भीड़ अचानक बढ़ गयी थी ।एक समाचार एजेंसी में काम कर रहे मेरे एक पत्रकार मित्र ने बताया कि आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पंजाब के अलग-अलग क्षेत्रों में करीब 20 लाख बिहारी काम कर रहे हैं। मतलब एक बड़ा वोट बैंक।

इन वोटरों को चुनाव के वक्त घर तक लाना एक बड़ा काम है। ऐसे में इन सभी को कैसे कोई दल अपनी ओर खिंचेगा यह भी एक पॉलिटिकल कहानी होगी। राजनीति में मतदाताओं को लुभाने के लिए आकर्षण के भी कई रूप होते हैं।

आलू के बीज को खेत में लगाते हुए रामजी शर्मा कहते हैं " पंजाब की खेती बिहार से है।"  शर्माजी की बात सुनकर मैं सोचने लगता हूँ कि बिहार के किसानों के भीतर पंजाब की बातें कब सकारात्मक तरीके से उठेगी। चुनाव में किसानी कब प्रमुख मुद्दा बनेगा। बाद बांकी जो है सो हइये है।

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