Thursday, September 24, 2015

एक किसान की चुनावी डायरी-2

चुनावी बकैती मुझे सबसे अधिक पसंद है। बिहार विधान सभा चुनाव की बातें अब जोर पकड़ने लगी है। खेतों में धान है और जिस खेत से मिर्च की उपज हुई वहां आलू उपजाने की तैयारी हो रही है। लेकिन हमारे जोगो काका तो बिहार चुनाव पर नजर  टिकाये हैं।

जोगो काका कहते हैं चुनाव के वक्त गाड़ी-घोड़ा सबका कागज दुरुस्त रहना चाहिये। हेलमेट और जूता भी :) इन दिनों वे लालू-नीतीश और भाजपा की बातें वे खाद-पानी की तरह करते हैं। उनकी बातें सुनकर मुझे फणीश्वर नाथ रेणु के भिंमल मामा याद आने लगते हैं। खैर, उनका मानना है कि मोदी जब रैली करेंगे तब जाकर माहौल पॉलिटिकल होगा। अभी तो सब हवा -पानी है। कौन विधायक बनेगा इस सवाल पर वे कहते हैं कि बिहार में विकास के साथ जाति  भी महत्वपूर्ण मुद्दा है। करोड़ टका में टिकट मिलता है और करोड़ों रुपया खर्च कर चुनाव लड़ा जाता है।

उधर , गाम का पलटनिया कहता है -" तीर-लालटेन और कमल को लेकर हम 'नरभस' हैं , वैसे नितीश कुमार हमलोगों के मुख्यमंत्री हैं , इ हम जानते हैं। लेकिन दिल्ली में तो आधा बांह वाला कुर्ता पहने मोदी की सरकार है। वो रेडियो में हम सभी से बात करता है। रुपैया भी दिया है बिहार को। करोड़ों रूप्पा। सब कहता है बिहार बदल जाएगा उस पैसा  से। वैसे नितीश हम सबका मुख्यमंत्री है, आज से नही, 10 बरख से। उनकी वजह से ही हमारी बेटी को साइकिल मिला है...वो स्कूल जाती है।"

पूर्णिया और आसपास के इलाकों की यात्रा करते वक्त लगता है कि चुनाव के वक्त हम अचानक किस तरह सक्रिय हो जाते हैं। दलीय बातचीत से लेकर विकास की बातों तक...सब कुछ में हम एक्सपर्ट राय देने लगते हैं।

मसलन अभी पता चला कि पूर्णिया से इस बार अजित सरकार के परिवार को टिकट नहीं मिला है। इस पर बाजार में एक ने कहा- इस बार माकपा ने राजीव सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है, जिसके साथ ही पूर्णिया सदर सीट से 1980 के बाद अजित सरकार और उनके परिवार की दावेदारी राजनीतिक रूप से खत्म हो गई है। देखिये, लोगबाग अब इसे भी परिवार से जोड़ने लगे हैं।

गौरतलब है कि पूर्णिया सदर सीट 1980 से 1998 तक माकपा के कब्जे में रहा और पूर्व विधायक अजित सरकार का राजनीतिक प्रभाव यहां से बना रहा।

अजित सरकार की बातों को लोग अब किस -किस रूप में लेंगे, यह देखने लायक होगा। ऐसा ही चुनाव के बाद भी बोलेँ तो कुछ भी सम्भव है। लेकिन हम तब बोलेंगे नहीं।

चुनाव के वक्त शराब को लेकर भी खूब चर्चा होती है जबकि हमें पता है कि नोट और शराब किस तरह मतदान को प्रभावित करता आया है। गाम में पालीथिन और अन्य देशी शराब की बिक्री बढ़ गयी है। कुछ लोग कह रहे हैं कि अलग अलग पार्टी के फंड से ऐसा हो रहा है।

उधर, राजग के एक सहयोगी राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) अध्‍यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अगर रालोसपा के उम्मीदवार शराब बांटने का काम करेंगे तो उन्हें बीच चुनाव से ही हटा दिया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि रालोसपा सरकार बनने के बाद का इंतजार नहीं करेगी बल्कि अभी से ही शराबबंदी के लिए काम शुरू करेगी। गजब तमाशा है भाई :)
इस तरह के बयानों का अभी दौर चलता रहेगा। बेटिकट लोगों का दिल अभी टूटता रहेगा। कोई किसी को मनायेगा तो कोई किसी को गाली देगा। हम बचपन में सुनते थे-राजनीति का व्याकरण सोलह दूनी आठ !

किसानी करता हूँ इसलिये जब भी राजनीति में   किसान की बातें होती है तो कान खड़े हो जाते हैं क्योंकि  हम सबसे अधिक छले गए हैं। देखिये न खबर आई है कि राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) से टिकट कटने के बाद भोजपुर के जगदीशपुर से राजद विधायक भाई दिनेश ने शाहबाद किसान विकास पार्टी बनाई है। अपनी नई पार्टी बनाने के बाद भाई दिनेश खुद जगदीशपुर से चुनाव लड़ेंगे।

गाम के कबीराहा मठ के रामचंदर कहते हैं कि चुनाव लड़ना नशा करने जैसा है। एक बार जिसने कर लिया फिर तो पूछिये मत :)

तो साहेबान, कद्रदान... चुनाव का खेला अभी जारी रहेगा। हम वैसे ही ठगाने के लिए बैठे हैं तो क्यों नहीं कोई हमें ठगकर पटना में राज करेगा। बाद बांकि जो है सो तो हइए है।

#BiharElections2015

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