हालांकि हम जैसे लोग वहीं पले-बढ़े हैं और मरने के लिए नहीं बल्कि जिंदगी जीने के लिए वहां जाते हैं। बहरहाल यह सच्चाई है कि कोसी के इलाके का पीने का पानी लौहयुक्त होता है, जो तमाम तरह की बीमारियों की जड़ है। जागरण ने इसी को लेकर यह रपट प्रकाशित की है।
शुक्रिया
गिरीन्द्र
कोसी की ५० लाख की आबादी पानी के नाम पर जहर पी रही है। कोसी के पूर्णिया, अररिया, कटिहार, किशनंगज एवं सहरसा सुपौल तथा मधेपुरा जिले में लोगों की प्यास बुझाने के लिये तीस हजार से अधिक चापाकल लगे हुए हैं। लेकिन इन चापाकलों से पानी के बदले जहर निकल रहा है। इन चापाकलों से निकलने वाले दूषित पानी को पीकर हर वर्ष औसतन साढ़े तीन सौ लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं।
"सरकारी फाइलों में भले ही पूर्णिया में 5613, कटिहार के 5854 व अररिया के 3658 चापाकल पीने का पानी उपलब्ध कराये जाने का दावा विभाग एवं सरकार द्वारा किया जा रहा है। मगर हकीकत यह है कि इन चापाकलों से पानी नहीं जहर निकल रहा है। धनकू मंडल कहते हैं की आयरन युक्त पानी से निजात दिलाने की मांग कई बार उनके द्वारा कई गयी मगर आज तक इसकी अनसुनी की जाती रही।"
सीसा युक्त पानी पीने के कारण कुल आबादी के बीस फीसदी लोग कैंसर। किडनी, मानसिक तनाव, फाइलेरिया, पागलपन, दंत रोग कब्ज की बीमारी से पीड़ित हैं। कुल आबादी का 2।3 प्रतिशत लोग निपुंसकता का दंश इसी दूषित पानी को पीने के कारण झेल रहे हैं। कोसी में पीने के उपयोग में लाये जाने वाली पानी में आयरन ।91 मिलीग्राम प्रति लीटर होने की बजाय 1।5 मिलीग्राम प्रतिलीटर है। इसी तरह फ्लोराइड .56 मिलीग्राम प्रतिलीटर रहान चाहिए जबकि यहां पीने वाले पानी में इसकी मात्रा 1.9 मिलीग्राम प्रति लीटर है। सबसे खतरनाक स्थिति सीसा की है। जिसकी मात्रा शुद्ध पानी में औसतन .5 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए जो यहां 1.2 मिली ग्राम प्रति लीटर है।
सीसा की इतनी अधिक मात्रा पानी में मौजूद रहना सबसे घातक स्थिति है। लोक स्वास्थ्य अभियत्रंण विभाग के कार्यपालक अभियंता रमण जी झा ने बताया की कई स्थानों पर जहां आयरन एवं फ्लोराइड ज्यादा मात्रा में पायी जाती है। वहां अमृत पेयजल योजना के तहत लौह निष्कासन संयंत्र लगाये गये हैं। मगर अधिकांश स्थानों पर ये खराब या बेकार पड़े हुए हैं। डा। टीएन ताड़क कहते हैं की दूषित पानी पीने के कारण कोसी के लोगों में कई तरह की बीमारियां बढ़ रही है। इनमें दांत संबंधी बीमारियां, मानसिक तनाव, किडनी संबंधी बीमारी, कैंसर की बीमारी बढ़ रही है।
सबसे खतरनाक स्थिति निपुंसकता को लेकर है। श्री ताड़क ने कहा कि अगर इस पर तत्काल नियंत्रण नहीं पाया गया तो स्थिति बड़ी ही भयावह हो जायेगी। कोसी में पूर्णिया के गुलाबबाग, रानीपतरा, गढ़बनैली, कटिहार के मिरचाबाड़ी, ड्राइवर टोला, कालोनी नंबर एक अररिया के फतेहपुर, बलुआ, भीमपुर, नाथपुर, पिठौरा, मिरदौैल, पेरवाहा, रानीगंज, फारबिसगंज के बथनाहा, जोगवनी, अंचरा, एवं सहरसा के नवहंट्टा प्रखंड के पांच दर्जन गांव तथा कोसी तटबंध के भीतर के सैकड़ों गांव में लोग दूषित पानी पी रहे हैं।
सुपौल जिले घूरन, दिवरा, लालगंज, महेशपुर, छपकाही, नेमुआ, कालीगंज सहित कई गांवों में लौह युक्त पानी पीने के लिये लोग विवश हैं। दूषित पानी पीने से हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं।
सरकारी फाइलों में भले ही पूर्णिया में 5613, कटिहार के 5854 व अररिया के 3658 चापाकल पीने का पानी उपलब्ध कराये जाने का दावा विभाग एवं सरकार द्वारा किया जा रहा है। मगर हकीकत यह है कि इन चापाकलों से पानी नहीं जहर निकल रहा है। धनकू मंडल कहते हैं की आयरन युक्त पानी से निजात दिलाने की मांग कई बार उनके द्वारा कई गयी मगर आज तक इसकी अनसुनी की जाती रही।
1 comment:
इस क्षेत्र में इतनी भयावह स्थिति है .. सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए !!
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