Monday, May 20, 2019

राजनीति का व्याकरण

इधर, हर कोई अपने-अपने अंदाज में चुनावी लीला के बाद राजतिलक की कथा बांच रहा है। कई कहानियां सुनाई जा रही है। बड़े ही रोचक अंदाज में! राजनीति की रोटी सेंकने वाले एक मित्र ने बताया कि चन्द्रबाबू सहित कई क्षत्रप दिल्ली के लिए हर एक को फोन लगा रहे हैं, लेकिन अफसोस उनका फोन अब कोई रिसीव नहीं कर रहा है।

मई की तपती गर्मी में एसी में दिन बिता रहे जोड़-तोड़ के माहिर ये नेता लोग अपने कमरे में गुनगुना रहे हैं- "मोरा पिया मोसे बोलत नाहीं...."

उधर, पश्चिम बंगाल में रायटर्स बिल्डिंग में अपने सिपहसलारों के साथ ममता दी बैठक कर रही हैं, एकाएक अमीर खुसरो उन्हें याद आते हैं, वो बोल पड़ती है- "अब न नींद नैना, न अंग चैना...।"

वहीं दिल्ली, कोलकाता से कोसों दूर बिहार के एक गाँव में एक्जिट पोल का जश्न मना रहे कुछ लोग नए-नए मुहावरे सुना रहे हैं। लोगबाग केदारनाथ से लेकर चुनाव के दौरान राहुल गांधी के लाइव साक्षात्कार पर खूब बतकही कर रहे हैं।

स्मार्टफोन के स्क्रीन में डूबे एक बुजुर्ग बार-बार अंबानी की बात कर रहे हैं। वे इस चुनाव को 'जियो-चुनाव' कह रहे थे। पान उनके मुंह में जिस तरह घुल रहा था, उसी अंदाज में वे जियो की महिमा का बखान कर रहे थे।

वहीं इस बतकही में एक मक्का व्यापारी का प्रवेश होता है, पसीना पोंछते हुए वह कहता है- " क्या आप लोग 23 तक का इंतज़ार नहीं कर सकते हैं ? वैसे ही एक्जिट पोल ने मैदान साफ कर दिया है, आप सब उम्र दराज लोग हैं, दो दिन तो धीरज रखिये, हो हल्ला करना चैनल का काम है। मक्का नहीं बेचना है क्या..." 😀

(राजनीति बैचेन कर रही है हर किसो को, अपने-अपने तरीके से )

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