Saturday, August 15, 2015

माननीय प्रधानमंत्री जी....

माननीय प्रधानमंत्री जी,
नमस्कार।
लाल किले के प्राचीर से आपने आज गाम-घर और किसानी की जो बातें की, वो सब सुनकर मन बाग़-बाग़ हो गया। एक किसान के तौर पर जब सुना कि आप कृषि मंत्रालय के साथ किसान कल्याण शब्द को जोड़ेंगे तो क्या कहें मन में लड्डू फूटने लगे ।

प्रधानमंत्री जी, सुनकर ये सब अच्छा लगता है। किसान की बातें करने में और उसे जमीन पर देखने में हम हमेशा छले गए हैं। जय जवान , जय किसान का नारा हमेशा से ठगने जैसा लगा है।

आपको प्रचंड बहुमत मिला है। आपने दूसरी बार लाल किले से देश को संबोधित किया है। किसान की बातें की है तो उसे जमीन पर भी उतारियेगा। हम जानते हैं कि कई राज्यों में चुनाव होंगे तो उसे ध्यान में रखकर भाषण तैयार किया जाता रहा है, यह कोई नई बात नहीं है। ऐसा मुल्क में होता आया है।

आपने यूरिया की बात की , बात केवल बात ही न रह जाए...ख्याल रखियेगा। किसान को ठगना सबसे आसान है। एक बानगी मैं खुद हूँ प्रधानमंत्री जी। गेहूं का फसल जाने कब मौसम की मार सहकर बर्बाद हुआ लेकिन अबतक खाते में मुआवजे की राशि नहीं आई है। 6 महीने से ऊपर गुजर गए। किसान और बैंक खाते में राशि ट्रान्सफर का आलम यही है मोदी जी।

खैर, आपसे आशा है। आप जो बोलते हैं उसे पूरा भी करिये। यकीन मानिए, यदि ऐसा आप कर देंगे तो लाल किले से आप बोलते रहेंगे। जनता आपको मौका देती रहेगी। लेकिन यदि केवल भाषण ही देते रहेंगे तो फिर जिस प्रचंड बहुमत से आप सत्ता में आये उसी अंदाज में बाहर का रास्ता भी देखना होगा। जिन्दा कौमें पांच साल का इंतजार नहीं करती है प्रधानमंत्री जी।

किसानों के प्रति जिस लगाव से आपने राग अलाप किया , आशा है आप उसे पूरा करेंगे। भाषण और आश्वासन से ऊपर उठकर हम खेती किसानी करने वालों पर ध्यान रखियेगा। बाद बाँकी आप बोलते तो अच्छा हैं ही।

आपका
किसान
गिरीन्द्र नाथ झा
ग्राम-चनका
पोस्ट-चनका
जिला-पूर्णिया
बिहार

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