Tuesday, March 29, 2011

वेब की दुनिया में देहात

तस्वीरों के जरिए बांस की सहायता से घर बनाने की जानकारी
हम गांव से शहर आए हैं, कई चीजें वहीं से मन में जुड़ी है। लाख बार बदलाव की बयार चलें तो भी हम में कुछ ऐसा है जो बदल नहीं सकता है। गांठ बंधी है वो तो टूटेगा नहीं न। नहर, सड़क और फसल हमारे जेहन में है। हर बार गांव से शहर के होस्टल जाते समय आंखों में आंसू आते थे, जो आज भी आते हैं मानो कुछ छूट रहा हो जैसे। इसी वजह से गांव को लेकर हमेशा सवाल भावुकता के रैपर में लपेटकर मन में रखता हूं। ग्रामीण विकास, जिसे अंग्रेजीदां लहजे में Rural Development  कहते हैं, मेरा प्रिय विषय रहा है। इसलिए यदा-कदा वेब की दुनिया में गूगल के दरवाजे पे इसे लिखकर चीजें खोजता रहता हूं।

हंसी लगेगी, गांव की बातें वेब पर खोजता हूं, लेकिन सच तो सच होता है। दरअसल केंद्र और राज्यो में ग्रामीण विकास विभाग होते हैं, जहां जाकर हम ढेर सारी सरकारी योजनाओं के बारे  में जानकारी हासिल कर सकते हैं। आज मैंने मंत्रालयों की वेबसाइट्स खंगाली है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की भी और बिहार की भी। दिल्ली वाली साइट को देखकर लगा कि बनाने वाले के भीतर में शहर चौड़ा होकर घुम रहा होगा लेकिन जब बिहार के ग्रामीण विकास विभाग की साइट पर नजर गई तो लगा, हां, इसे बनाने वाले थोड़ा ही सही लेकिन दिल जरूर लगाया है।

यहां गांव और गांव से जुड़े तमाम मसलों को सलीके से उठाया गया है। पटना से लेकर पूर्णिया तक के ग्रामीण विभाग के अधिकारियों की संपत्ति का ब्यौरा लेना हो या फिर योजनाओं के बारे में जानकारी चाहते हैं, सबकुछ यहां मिल जाएगा। सबसे दुरुस्त चीज. जो मेरे नजर से टकराई वह है गांव में कम लागत में घर कैसे बनाए जा सकते हैं। इस विषय पर यहां जानाकरियों का भंडार। इसके लिए एक अलग पेज ही बनाया गया है।

नींव और कुर्सी कैसे बनाए, आरसीसीसी छत और बांस की दीवार की सहायता से आशियाना कैसे बन सकता है, इसे विस्तार से बताया गया है। इसके साथ ही कई तस्वीरों को भी जगह दी गई है। कुल मिलाकर एक मुक्कमल साइट, मेरी नजर में.

और हां विभाग के मंत्री जी के पेज पे पहुंचा तो पता चला नीतीश मिश्रा जी तो रूरल डेवलपमेंट पर पहले भी काम कर चुके हैं। यूके और नीदरलैंड से पढ़ाई भी की है। वैसे ग्रेजुएट दिल्ली विश्वविद्यालय से हैं, सन 1994। उस वक्त बिहार से पलायन का दौर चरम पर था। खैर, यह भी जाना कि उन्हें एमटीवी यूथ आइकॉन भी चुन चुका है। मिला-जुलाकार इ आदमी पॉलिटिक्स से इतर भी कुछ करता रहता है, अच्छी बात है।

आप कह सकते हैं कि इ बिहारी तो साइट प्रमोशन में लगा हुआ है लेकिन क्या करें, अच्छी चीजों की तो अच्छाई करने का हक बनता है। और हां, समय हो तो
आप भी एक चक्कर लगा सकते हैं - http://rdd.bih.nic.in/

1 comment:

शाकिर खान said...

हिंदी ब्लॉग्गिंग ने मेरे विचारों को और मेरे बहुत से साथियों के विचारों को पर लगा दिए हैं . धन्यवाद् ब्लागस्पाट एंड गूगल