दिल्ली में आठ साल गुजारने के बाद कानपुर में ठिकाना बनाते हुए शहर को एक अलग नजर से देखने की ख्वाहिश जाग उठी। शहर के हर अड्डे को दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से जोड़कर देखने लगा। कानपुर का सिविल लाइंस और दिल्ली का सिविल लाइंस या फिर सदाबहार माल रोड (दिल्ली) और कानपुर का द मॉल। समानताएं भले ही कम हो लेकिन दिल्ली का अहसास जरूर दिलाती है कानपुर। मैं शाम के कानपुर को देखने में लगा हूं, सूरज अस्त कानपुर मस्त के अंदाज में। सिविल लाइंस से होते हुए द मॉल तक के रास्ते को छान मार रहा हूं। देर रात लगभग एक बजे तक के कानपुर को देख रहा हूं।
द मॉल की चहल-पहल, सड़क के दोनों ओर आईसक्रिम पार्लर, साथ ही क्वालिटी आइसक्रिम वालों के रिक्शों को देखकर कनाट प्लेस याद आता है। कुछएक बार (शराबखाना) भी इस सड़क को गुलजार किए रहते हैं। फूलबाग और द मॉल के बीच रात करीब 12 बजे हाथ में गुब्बारा लिए दो बच्चों पर निगाहें टिकती है। आइसक्रिम पार्लर से बाहर आने वाले हर शख्स के सामने गुब्बारा लेकर ये दोनों खड़े हो जाते हैं। (जारी)
शहरी शाम का और देर रात का, कानपुर को समझने-बुझने में लगा है। अनुभवों का बांटने का सिलसिला जारी रहेगा। अगली बार सिविल लाइंस की दुनिया।
गिरीन्द्र
3 comments:
रोचक पोस्ट लेकिन एक आध फोटो भी लगा देते तो आनंद आ जाता...
नीरज
bahut khub, achha laga kanpur gatha padh kar.
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