Monday, March 08, 2010

यहां सिर्फ मरने के बाद ही सम्मान किया जाता है- उस्ताद अकील अहमद खान

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के आगरा घराने से ताल्लुक रखने वाले उस्ताद अकील अहमद खान इन दिनों बीमार हैं लेकिन वह बिल्कुल अकेले हैं। सरकार की उपेक्षा से बेजार इस संगीत दिग्गज का कहना है कि यहां सिर्फ मरने के बाद ही सम्मान किया जाता है। खान साहेब आगरा घराने के संस्थापक आफताब ए मुश्तकी उस्ताद फैय्याज अहमद खां के पौत्र हैं। तंगी की हालत से जूझ रहे खान साहेब सोने के 5 मेडल बेच चुके हैं।


तानसेन की विरासत से जुड़े और उस्ताद फैयाज खान के पौत्र अकील की उम्र 86 साल है। उन्होंने अपना करियर अभिनेता अशोक कुमार और नसीम बानो के साथ वर्ष 1940 के दशक में किया था। संगीत से जुड़े अपने करियर के दौरान उस्ताद अकील ने मशहूर फनकार मोहम्मद रफी के साथ गाया और गुलाम हुसैन जैसे दिग्गजों के साथ काम किया।


कला की इस अजीम विरासत को वर्षो से जीवंत रखने वाले उस्ताद वकील के पास आज सुनहरे दिनों की सिर्फ यादें भर हैं। सरकार की ओर से कभी उन्हें 2,000 रुपये प्रति महीने पेंशन के रूप में मिलते थे लेकिन वर्ष 2008 के बाद उन्हें यह भी नहीं मिला।

वह कहते हैं, "जिंदा रहने के लिए मेरे पास कोई वित्तीय मदद नहीं है।" उनका कहना है कि उन्हें अपनी जिंदगी के लिए अपने पांच स्वर्ण पदकों को भी बेचना पड़ा। कुछ महीने पहले ही उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई थी।

उस्ताद वकील ने कहा कि उनकी बेटी पेंशन के बारे में बात करने के लिए दिल्ली गईं थीं। उन्होंने भी सरकार से पेंशन बढ़ाने की मांग की लेकिन इसका कोई जवाब नहीं आया।

आईएएनएस

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