Sunday, January 17, 2010

ज्योति बाबू की बोलती आंखें ...

किसकी आंखें नहीं बोलती है, सबकी बोलती है बस अंतर होता है नजरों में। आप इस तस्वीर में देखिए ज्योति बाबू को। उनकी आंखें कुछ अलग अंदाज में बोला करती थी। एक नजर में बेहद कड़े मिजाज के लगते थे ज्योति बाबू, लेकिन असल में उतने ही सरल और सौम्य। सफेद धोती-कुर्ते की तरह सरल और सौम्य। उनके चुनाव एजेंट रह चुके गोकुल बैरागी का कहते हैं कि बसु को क्रोध काफी कम आता था और वह विपरित स्थिति को संभालना जानते थे। यही थी ज्योति बाबू की सबसे बड़ी ताकत।



ट्विटर पर प्रमुख उद्योगपति और महिंद्रा समूह के प्रमुख आनंद महिंद्रा ने ज्योति बाबू के बारे में टिप्पणी की, "मैं ज्योति बसु से केवल एक बार ही मिल सका। वह सत्ता से परे थे। मेरी उनके प्रति धारणा ऐसे व्यक्ति की है जिसने सत्ता का अभाव कभी महसूस नहीं किया।"

फिल्म निर्माण के क्षेत्र में दिग्गज माने जाने वाले प्रीतिश नंदी ने कहा, "मैं ज्योति बसु को काफी पंसद करता था। वह एक बंगाली भद्रलोक थे। उन्हें व्हिस्की और मार्क्सवाद से प्यार था।" राजदीप सरदेसाई भी उनकी व्हिस्की और मार्क्सवाद के बारे में कुछ ऐसा ही  कहते हैं।

जब मैंने अपने फेसबुक एकाउंट पर लिखा कि ज्योति बाबू जाते-जाते भी मानवता को एक संदेश देते गए..नेत्रदान का। ...तो दोस्त पंकज नारायण ने लिखा-उन्होंने रहते-रहते भी कई आंखें दी हैं और रोशनी भी... उनका जाना एक अंधेरे में किसी रौशनी के गुम होने जैसा है फिर भी उनके होने का उजाला हमारे भीतर रहेगा...



लाल सलाम..ज्योति बाबू।

1 comment:

Randhir Singh Suman said...

कामरेड़ ज्योति बसु को लाल सलाम