"पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट और रेड्डी में यही समानता है कि ये सभी राजनीति में लोकप्रियता के उत्कर्ष पर रहने के दौरान असमय मौत का शिकार बने।"
कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने आज कहा, "पार्टी को कई नेताओं की असमय मौत से गहरा धक्का लगा है। राजीव गांधी, माधव राव सिधिया, राजेश पायलट और अब राजशेखर रेड्डी। इन सभी नेताओं की मौत से राजनीतिक जीवन और उनके प्रशंसकों के जीवन में शून्यता आ गई, जिसे कभी नहीं भरा जा सकता है। "
अहमद ने कहा, "वाईएसआर की मौत आंध्र प्रदेश, देश और कांग्रेस के लिए अपूरणीय क्षति है। हमने एक महान नेता और एक अच्छे इंसान को खोया है।"
कांग्रेस ने सितंबर 2001 में पूर्व रेल मंत्री माधवराव सिधिया को एक विमान हादसे में खोया था। उस समय सिधिया की उम्र 56 वर्ष थी। लोगों को उनसे काफी उम्मीदें थी। वह लगातार नौ बार सांसद चुने गए थे।
जून 2000 में पूर्व आंतरिक सुरक्षा मंत्री राजेश पायलट की एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। उस समय उनकी उम्र 55 वर्ष थी। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के लड़ाकू विमानों के पायलट रह चुके राजेश कांग्रेस के उभरते नेता थे।
कांग्रेस को सबसे बड़ा धक्का मई 1991 में लगा, जब उसने राजीव गांधी को खोया। तमिलनाडु में एक चुनावी सभा के दौरान 46 वर्षीय गांधी आत्मघाती हमले का शिकार बने। उस समय कांग्रेस केंद्र में वापसी करने की पूरी तैयारी में थी और आम चुनाव के बाद सत्ता में लौटी भी थी।
कभी-कभी करिश्मे भी हुए
(साभार बीबीसी)
कई ऐसी हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएँ भी हुईं जिनमें कई राजनेता बस बाल-बाल बचे. पीछे मुड़कर नज़र डालें तो 1977 का मामला याद आता है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई हेलिकॉप्टर हादसे में बाल-बाल बचे थे. वे कुछ अन्य नेताओं के साथ हेलिकॉप्टर के ज़रिए पूर्वोत्तर के दौरे पर जा रहे थे जब हेलिकॉप्टर असम में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. पायलटों ने हेलिकॉप्टरों को खेत में कुछ इस तरह उतारा कि सबसे ज़्यादा नुकसान कॉकपिट को हुआ और पीछे का हिस्सा बच गया जिसमें प्रधानमंत्री थे. इस तरह मोरारजी देसाई और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत दूसरे नेता तो बच गए लेकिन भारतीय वायु सेना के पांच लोगों को जान गवांनी पड़ी.
जुलाई 2003 में उद्योगपति विजय मालया का हेलिकॉप्टर भी दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. उड़ान के दौरान पाइलट का हेलिकॉप्टर पर से कोई नियंत्रण नहीं रहा था. उस समय वे जनता पार्टी के नेता थे.
इसे करिश्मा ही कहा जा सकता है कि सभी लोगों की जान बच गई. हेलिकॉप्टर में फ़िल्म अभिनेता संजय खान भी थे.
सितंबर 2006 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी इसी तरह बाल-बाल बचे थे. वे गुरदासपार आ रहे थे जब उनका पवन हंस हेलिकॉप्टर हाई टेंशन लाइन में जाकर फँस गया. उन्होंने बाद में खुद कहा था कि ऐसी स्थिति में ज़िंदा बचना करिश्मे के जैसे है.
लेकिन ऐसे करिश्मे कभी-कभार ही देखने को मिलते हैं. मंगलवार, 03 सितंबर 2009 की दोपहर को जब वाईएसआर राजशेखर रेड्डी का हेलिकॉप्टर लापता हुआ था तो लोग पहले उम्मीद करते रहे कि कहीं सुरक्षित उतर गया होगा.
समय गुज़रता गया तो लोगों को उम्मीद थी कि अगर हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो भी गया है तो शायद मुख्यमंत्री सुरक्षित होंगे. लेकिन गुरुवार सुबह होते-होत ये स्पष्ट हो गया कि हेलिकॉप्टर में उड़ान भर रहे सभी लोगों की मौत हो गई है।
4 comments:
शायद इसी लिए कहा जाता है कि वक्त की हर शै गुलाम।
( Treasurer-S. T. )
कांग्रस को ही नहीं .. पूरे देश को अपूरणीय क्षति हुई है !!
सच कह रहे हैं...
बहुत दुखद घटना रही!!
दुखद समाचार है
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