देश-विदेश के लाखों ब्लॉगरों ने इस कर्मठ राजनेता को श्रद्धांजलि दी है। सभी ब्लॉगरों ने एक स्वर में कहा है कि आम आदमी की राजनीति के शिखर पुरुष थे वाईएसआर।
विस्फोट डॉट कॉम ने टिप्पणी की है, ‘‘राजशेखर रेड्डी की मौत की खबर ही न जाने कितनों के लिए मौत का कारण बन गई। उनके जाने के गम में 122 लोगों ने प्राण त्याग दिए। आंध्र प्रदेश में स्थानीय मीडिया के मुताबिक कुछ लोगों की सदमे से मौत हो गई तो कुछ ने आत्महत्या कर ली।’’
रेड्डी के निधन से आहत एक युवा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है, ‘‘रेड्डी ने अपना जीवन लोगों के लिए समर्पित कर दिया, मैं उनके लिए अपना जीवन समर्पित कर रहा हूं।’’ भावनाओं का ऐसा सैलाब देश में शायद ही पहले कभी देखने को मिला हो।
‘बुरा भला’ ने टिप्पणी की है, ‘‘रेड्डी का असमय काल के गाल में जना भारतीय राजनीति और विशेष रूप से कांग्रेस के लिए एक बड़ी त्रासदी है। वह कांग्रेस के ऊर्जावान, करिश्माई और संभावनाओं से भरे हुए एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने खुद की क्षमता सिद्ध की। उनकी छवि करिश्माई नेता के रूप में तब तब्दील हुई, जब उन्होंने पांच साल तक शासन करने के बाद सत्ता विरोधी रुझान को मात देते हुए दोबारा जीत हासिल की।’’
‘आइए करें गपशप’ ने टिप्पणी की है, ‘‘मौत निश्चित है। सब जनते हैं, लेकिन कभी-कभी उसका आक्रमण हमें भेद जाता है। ऐसा शून्य भर जाता है कि वह कभी नहीं भरता। किसी व्यक्ति की मौत के बाद लगता है कि उसकी और जिंदगी थी। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के निधन के बाद ऐसा ही लगा।’’
‘संस्कृति’ ने टिप्पणी की है, ‘‘रेड्डी की मौत के बाद उमड़े जन सैलाब ने स्वतंत्र भारत में एक इतिहास रच दिया है। जनता को रोकने के लिए उनके पुत्र ने उनके पार्थिव शरीर को एक घंटे पहले दर्शन स्थल से स्थानांतरित करा दिया था, क्योंकि जन-सैलाब नियंत्रण में नहीं आ रहा था। जनता की ऐसी श्रद्धांजलि स्वतंत्र भारत में एक मिसाल बन गई।’’
ब्लॉगवाणी पर इन दिनों सैंकड़ों ब्लॉगर हर रोज वाईएसआर को शब्दों के जरिए श्रद्धांजलि दे रहे हैं। एक ब्लॉगर ने वाईएसआर के शब्दों को दोहराया है, जिसे वह अक्सर अपने प्रशंसकों के बीच कहा करते थे, ‘‘अपने जीवन के वर्ष मत गिनो। खुद से यह सवाल करो कि तुम्हें ईश्वर ने जो अवसर दिए, उनका फायदा उठाकर तुमने समाज की भलाई के लिए क्या कुछ किया है।’’
(मेरी इस रपट को आप दैनिक हिंदुस्तान डॉट कॉम और जागरण पर भी पढ़ सकते हैं।)
2 comments:
देखा अखबार का लिंक.
बढ़िया
ऐसे उल्लेखों पर प्रिंट का संस्करण व पृष्ठ संख्या गर मिल जातीं तो मुझ जैसे नादानों को समेटने में दिक्कत ना होती
बी एस पाबला
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