Tuesday, August 11, 2009

रेणु के गांव आया परदेशी...

बिहार के अररिया जिले में स्थित औराही हिंगना गांव में इन दनों एक विदेशी आया हुआ है। लुंगी और बनियान पहने देखकर आप अंदाजा नहीं लगा पाएंगे कि जनाब अमरेकी शहर टेक्सास के हैं। इस वेश में वह खांटी देहाती दिखते हैं। इनका नाम है इयान वुलफोर्ड। औराही के बारे में आपको विस्तार से बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह महान आंचलिक उपन्यासकार फणीश्वर नाथ रेणु का गांव में हैं। इस गांव की फिजा में रेणु के पात्र बसे हुए हैं।

अमेरिकी विश्वविद्यालय का शोधार्थी और अब लेक्चरर इयान इन दिनों आंचलिक भाषा और ठेठ बिहारी ग्रामीण जीवनशैली को समझने की कोशिश कर रहा है। उसे आचंलिक गीतों से खास लगाव है। दरअसल वह कुछ गीतों के जरिए रेणु के गांव को खंगालना चाहता है।

टेक्सास विश्वविद्यालय का 30 वर्षीय इयान कई दिनों से औराही में डेरा जमाए हुए है। इससे पहले भी वह देश के कई गांवों को खंगाल चुका है। रेणु के परिजनों के साथ इयान काफी वक्त गुजारता है। इसके अलावा स्थानीय लोगों से लगातार संवाद कायम रखे हुए है। रेणु के घर के बाहर चौकी पर बैठकर वह कहता है- रेणु की लेखनी अद्वितीय है। उन्होंने अपनी लेखनी के जरिए ग्राम्य जीवन पर प्रकाश डाला। साथ ही आंचलिक गीतों को प्रमुखता से स्थापित किया।


टेक्सास विश्वविद्यालय ने हाल ही में इयान को लेक्चरर नियुक्त करने की घोषणा की। इयान ने कहा- मेरी पत्नी ने मुझे इसकी सूचना दी। मैं काफी खुश हूं। उन्होंने कहा कि रेणु के गांव में पहुंचने की उनकी लालसा पांच साल पहले जगी थी, जब उन्होंने रेणु की कुछ उपन्यासों को पढ़ा था। खासकर उनके उपन्यासों में प्रयुक्त लोकगीत उसे अपनी ओर खींचते हैं।


इयान ने कहा कि जब वह औराही पहुंचे तो उनकी जान-पहचान किसी से नहीं थी। लेकिन उन्हें खुशी इस बात की है पहली बार में ही लोग उनके दोस्त बन गए। उन्होंने कहा- रेणु की लेखनी के बारे में अंग्रेजी में काफी कम लिखा गया है। मैं उनकी लेखनी पर शोध कर रहा हूं। मैंने लगभग 60 फीसदी शोध कार्य पूरा कर लिया है।


रेणु से बेहद प्रभावित इयान ने कहा कि वह भविष्य में अमेरिकी विश्वविद्यालय में भारतीय ग्राम्य जीवन पर छात्रों को पढ़ना चाहते हैं औऱ इस विषय को पाठ्यक्रम में भी शामिल कराने के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन उन्हें दुख इस बात है कि अभी भी भारतीय गांवों में गरीबी और अशिक्षा एक बड़ी समस्या बनी हुई है।

चलते -चलते बता दूं कि इयान साहेब ब्लॉगर भी हैं और अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी ब्लॉगिगं कर रहे हैं। उनतक पहुंचने का पता है-
http://www.indiasammy.blogspot.com/ (अंग्रेजी में)
http://www.hindisammy.blogspot.com/ (हिंदी में )

और अब रेणु के एक गीत का आनंद उठाइए-

भादव मास भयंकर रतिया-या-या,

पिया परदेस गेल धड़के मोर छतिया-या-या,

कैसे धीर धरौं मन धीरा-

आसिन मास नयन ढरै नीरा-आ-आ-आ..।“

1 comment:

सतीश पंचम said...

अरे वाह, रोचक खबर है।

मेरी पिछली पोस्ट पर भी रेणु ही हैं। पवई लेक पर हुई रेणु जी की एक घटना का जिक्र शायद आपको पसंद आए।