Monday, August 10, 2009

इस गली, उस गली /इस नगर उस नगर /जाएं भी तो कहां,..........

वेब की दुनिया सुहानी होती है, पर इसमें बांधने की शक्ति काफी कम होती है। कोई भी किसी वेबसाइट या ब्लॉग पर जाकर कितनी देर ठहर पाएगा, यह कहना कठिन है। यह निर्भर करता है वेबसाइट/ब्लॉग्स के कंटेट्स पर। हम और आप हर रोज औसतन 20-22 वेबसाइटों का चक्कर लगाते हैं पर कितने पर हम ठहर पाते हैं..यह सवाल मुझे हर रोज तंग करता है। खासकर जब आप भी कोई ब्लॉग चलाते हैं या फिर पोर्टल मोडरेट कर रहे हों।

ऐसे सवाल के जवाब के लिए मैं हिंदी और अंग्रेजी के कुछ वेबसाइटों और ब्लॉगों पर नजर दौड़ाता रहता हूं। अभी हाल ही में रूरल रिपोर्टर नामक ब्लॉग पर गया था, यकिन मानिए यह तस्वीरों का ब्लॉग मुझे आधे घंटे तक अपने पेजों में उलझाए रहा। हर तस्वीर ढेर सारे सवाल दागते हैं। इसके अलावा पी. साईंनाथ की कुछ रपटें भी कमाल की है। कुछ ऐसा ही कभी-कभार मोहल्ला लाइव डॉट कॉम भी करता है। पिछले हफ्ते मिहिर पंड्या ने कमीने फिल्म के संगीत की समीक्षा लिखी थी। मैं इसे मोहल्ला लाइव के तमाम रपटों में सबसे बेहतरीन मानता हूं। शनिवार सुबह मैं भी इस वेबसाइट से चिपका रहा। मिहिर ने संगीत की समीक्षा की नई परंपरा की शुरुआत कर दी। इसके अलावा भी यह वेबसाइट कांटेट के मामले में धनी है।

विस्फोट डॉट कॉम भी कंटेट के मामले में एक नए तेवर लिए हुए है लेकिन कभी-कभी लंबे पोस्ट ऊबाने भी लगते हैं। दरअसल वेब की दुनिया में हाथ-पांव मारने वाले हम जैसे लोग लंबे पोस्टों को सहजता से नहीं ले पाते हैं। हम इन वेबसाइटों पर जब जाते हैं तो इच्छा यही रहती है कि कम से कम समय में हम सभी चीजों पर नजर दौड़ा लें क्योंकि हमारे पास कई विकल्प हैं जहां भी हमें चक्कर लगाना होता है। हाशिया ब्लॉग को भी मैं इसी नजर से देखता हूं। इसे कंटेट के मामले में आप सबसे धनी वेबसाइट मान सकते हैं, जहां आपको दिमागी भूख को मिटाने के लिए तमाम तरह के व्यंजन मिल जाएंगे।

हम पोर्टलों / ब्लॉगों के जरिए वेब को खँगालने वाले लोग इन अड्डों पर ठहरना चाहते हैं, ठीक उन कॉफी हाउसों की तरह जहां के टेबल पर लोग घंटो बैठे रह जाते हैं क्योंकि वहां बातों ही बातों में कई बात निकल जाती है। हम हिंदी की तमाम वेबसाइटों और ब्लॉगों से यही अपेक्षा रखते हैं कि साइबर स्‍पेस में कॉफी हाउस वाले दिन लौट आएं। हमे साइबर वर्ल्ड में यह कहने का मौका नहीं मिले-

"इस गली, उस गली

इस नगर उस नगर

जाएं भी तो कहां,.........."