मैं इस रिपोर्ताज से जेपी के भाषण का कुछ अंश पेश कर रहा हूं, जिसे मैं आज के लिए प्रासंगिक मानता हूं। पढ़िए-
जेपी बोल रहे हैं-
'' उधर हजारों-हजार गांवों में लोग दाना-पानी के बिना मर रहे हैं और अपने को जनता के सेवक कहने वाले चुनाव के दंगल में फंसे हैं। मैं कहता हूं, भाई, चुनाव है तो क्या है छोड़ न दो मतदाताओं के ऊपर। आपने अपने क्षेत्र में अच्छा काम किया है तो मतदाता आपको खुद अपना मत देंगे। और यदि पांच साल में आपने कुछ नहीं किया तो एक महिना-पंद्रह दिन लाउड स्पीकर बजाकर, पर्चा बंटवाकर क्या होगा?''
2 comments:
बहुत सुन्दर अंश प्रेषित किया है।आभार।
bahut khub kaha hai jaiprakash ji ne. dhanyabad
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