11 से 14 अप्रैल के बीच होने वाले इस अभिव्यक्ति की शुरुआत यमुना पार स्थित गांवड़ी गांव में बाल-अधिकारों तथा जाति व जेंडर पर गोष्ठियों व रचनात्मक कार्यशालाओं से होगी. शाम को स्थानीय बच्चों द्वारा नृत्य गीतों की प्रस्तुति होंगी. अगले दिन, 12 अप्रैल को जहांगीरपुरी में इसी तरह के कार्यक्रम होंगे. 13 अप्रैल को तिमारपुर स्थित दिल्ली ऐडमिनिस्ट्रेशन कॉलोनी में स्कूली बच्चों के लिए कुछ कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी और साथ ही कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा।
इस चार दिवसीय सांस्कृतिक समारोह का समापन दिल्ली विश्वविद्यालय में होगा. 14 अप्रैल को 11 बजे दिल्ली विश्वविद्यालय के टैगोर हॉल में समकालीन भारत में जाति का सवाल विषय पर एक परिचर्चा होगी, सीएसडीएस के फ़ेलॉ डॉ. हिलाल अहमद, वरिष्ठ पत्रकार श्री दिलीप मंडल तथा एडवोकेट एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता सुश्री चन्द्रा निगम इस परिचर्चा में भाग लेंगे।
दोपहर बाद का सत्र सांस्कृतिक कार्यक्रमों का होगा, जिसमें जाने-माने समकालीन गायक रवि नागर के गायन के अलावा लयकार, लोकस्वर तथा अन्य जनवादी सांस्कृतिक समूहों की प्रस्तुतियां भी होंगी. इस समारोह का समापन बच्चों के बीच पुरस्कार वितरण के साथ होगा।
2 comments:
kyo sach jan ke mirchi lag gayi?
Post a Comment