Tuesday, February 24, 2009

इतने अरसे बाद" हेंगर "से कोट निकाला ......


गुलजार साब, नमक इश्क का और जय हो कहने वाले गुलजार साब। अभी उनकी हर जगह जय हो हो रही है, जरी वाले रहमान के साथ। वैसे यह कोई नई बात नहीं है। उनकी जय तब से हो रही है, जब उन्होंने कहा था- मोरा गोरा अंग लई ले.....। खैर, अभी उनकी त्रिवेणी में डूबकी लगाकर तृप्त होने की कोशिश करें।

गिरीन्द्र


इतने अरसे बाद" हेंगर "से कोट निकाला


कितना लंबा बाल मिला है 'कॉलर "पर


पिछले जाडो में पहना था ,याद आता है


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आओ सारे पहन लें आईने


सारे देखेंगे अपना ही चेहरा


सबको सारे हंसी लगेंगे यहाँ !


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सामने आए मेरे देखा मुझे बात भी की


मुस्कराए भी ,पुरानी किसी पहचान की खातिर


कल का अखबार था ,बस देख लिया रख भी दिया


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1 comment:

सुशील छौक्कर said...

अच्छा तभी इतने तरोताजा नजर आ रहे हो। लगता है गुलजार जी की यह किताब सबके ही हाथ लग गई है। जबसे हम पढकर हटे इनकी त्रिवेणियाँ तब से ही पोस्ट ही पोस्ट आ रही इन पर। समझ नही आता क्या बात है पढी हमने लिख रहे आप सभी लोग। लगता है तरंगे एक दूसरे से टकरा रही है।

जिस्म और जाँ टटोल कर देखॆ
ये पिटारी भी खोल कर देखें

टूटा फूटा अगर ख़ुदा निकले ।

और ऊपर से ये ससुराल गेंदा फूल भी।