Saturday, January 10, 2009

गूगल, अलवर और सुलभ


गूगल, अलवर और सुलभ। आप सोच रहे होंगे कि यह कैसी जुगलबंदी है। मैं जब गूगल पर अलवर टाइप करता हूं तो जो परिणाम निकल कर आते हैं, उसे देखकर यही सोचता हूँ कि ऐसे परिणाम भारत के हर जिले का निकले।


अलवर को लेकर गूगल का परिणाम महिला सशक्तीकरण का एक उदाहरण ही है। गूगल सर्च क परिणाम पहले यह नहीं बताता है कि अलवर राजस्थान का एक जिला है, बल्की बताता है की कभी सिर पर मैला ढोने वाली यहाँ की कुछ महिलाओं को यूएन मे सम्मानित किया गया है।

मैं इन परिणामों को कंप्यूटर स्क्रीन पर पढ़कर कुछ देर के थम सा जाता हूँ। दरअसल अलवर की उन बस्तियों से मुझे अपनापा लगता है जहाँ ये महिलाएं रहती है।
अलवर की इन महिलाओं से मैं पहली दफे बाराखंभा रोड पर मौजूद होटल इंटरकांटीनेंटल में मिला था।
गूगल पर इन महिलाओं को देखकर एक साल पुरानी यादें हर रोज ताज़ा हो जाती है। हाल ही में अलवर भी गया था। एक साल में लोग कितने बदलते है इसका नज़ारा वहां देखने को मिला। ख़ुद पर बिश्वास करने लगी है यहाँ की महिलाएं।

गूगल, अलवर के बाद अब सुलभ की चर्चा। सारी कहानी सुलभ के ही आसपास घुमती है। सुलभ इंटरनेशनल ने इन महिलाओं की जिन्दगी ही बदल डाली है। इन्ही बातों को विस्तार से गूगल पर देखा जा सकता है। २००८ में ये महिलाएं मीडिया में छाई रही।

3 comments:

Udan Tashtari said...

पिछले वर्ष जब यह महिलाऐं गई थीं तब टीवी पर पूरा प्रोग्राम देखा था. बहुत खुशी होती है इस तरह के सार्थक प्रयास देख कर.

anuradha srivastav said...

सकारात्मक सहयोग अपने आप में बडी शक्ति है। एक विश्वास जो उन महिलाऒं को दिया गया और उस विश्वास से उत्पन्न आत्मविश्वास ने बदलाव की बयार ला दी। काश इसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी बदलाव और जागृति आये ।

Anonymous said...

सार्थक जानकारी,
महिलाओं में पैदा किया गया विश्वास जिसने इन्हें मुख्यधारा की और अग्रसर किया, ये जरुरत गाव के हर क्षेत्र के लिए है.
साधुवाद.