Friday, December 05, 2008

बांसुरी की तान और सुरों की मिठास मेरे शहर में.......


आपको बांसुरी की सुरों की मिठास पसंद है, तो चले आईए हमारे साथ पूर्णिया जिले के श्रीनगर प्रखंड के खुट्टी हसेली पंचायत के कदगामा रहेकपुर गांव। कदगामा से गत पांच दशकों से बांसुरी के सुरों की मिठास को अब तक कोई छिन नहीं पाया है। भले ही हम और आप इसे नहीं जानते हों।


कदगामा गांव में विगत पांच दशकों से शुरू किया गया बासुरी बनाने का धंधा अब इस गांव के लोगों के लिये रोटी जुगाड़ करने का एक माध्यम बन चुका है।


मेलों की आहट होते ही इस गांव में बांसुरी को बनाने को काम जोर- शोर से शुरू हो जाता है। इनके द्वारा बनायी गयी बांसुरी की मांग सूबे के कई जिलों में है। आर्डर के हिसाब से यहां लोग तरह-तरह की बांसुरी बनाकर देते भी है। वर्षो से चल रहा यह काम अब इन लोगों का पुश्तैनी व्यवसाय का रूप ले लिया है।


कदगामा रहेकपुर गांव में करीब पच्चीस घरों में बांसुरी बनाकर बेचने का व्यवसाय करीब पचास वर्षो से चल रहा है। कदगामा रहेकपुर के रफीक शाह, शहीद शाह, जहीर शाह, मोईन शाह, नसीम शाह, आरीफ शाह ने करीब पांच दशक पूर्व यह काम शुरू किया था।


अब इनकी दूसरी पीढ़ी आलम शाह, शमशाद शाह, इबरार शाह, मोहित शाह, तवरेज, वाजुल, जुबेर, फटकन शाह, बेलाल, जावेद शाह बांसुरी, मुरली, बीन बनाने के काम को व्यवसाय का रूप देकर अपनी रोजी-रोटी चला रहे है। यहां के लोग केवल बांसुरी, मुरली बनाना ही नहीं बल्कि इसे बजाना भी जानते है।


आश्चर्य तो यह कि अशिक्षा के कारण सुर, लय, ताल से अनभिज्ञ ये कलाकार जब इन वाद्य यंत्रों पर तान छेड़ते है तो श्रीनगर-पूर्णिया मुख्य मार्ग पर गुजरने वाले लोगों को एक पल के लिये ही सही लेकिन रुकने के लिये विवश होना पड़ जाता है।


बगैर सांस लिये मिनटों तक बीन पर तान छेड़ने वाले साठ वर्षीय शहीद शाह ने हमें बताया था कि जब इस काम को हमलोगों ने शुरू किया था तो इसे बजाने से हमलोग अनभिज्ञ थे। जिससे ग्राहकों को आकर्षित करने में काफी परेशानी होती थी। बाद में विवशता के कारण इसे बजाने का गुर सीखना पड़ा। अब तो यहां के बूढ़े तो बूढ़े बच्चे भी इस कला में उस्ताद बन बैठे है।

4 comments:

Anonymous said...

Girindraji Namaskar. Blogvani se gujar raha tha ki aapki post par najar pad gayi. Padh kar achcha laga. Laga jaise hamne kisi surili bansuri ki taan sun li.

Bhartiya Paksha ke content ko bhi humne blogvani se connect kar diya hai. Aaj Govindji ka ek interview blogvani par bhi dekh sakte hain

Anonymous said...

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Udan Tashtari said...

बहुत आभार इस परिचय एवं जानकारी का.

भावना said...

aap is partiday ke haqdaar hai....aur bhi umda chitto ki ummeed aapse bandh gayi hai...bahut-2 badhai!

rahi baat is melodius posting ki to sachmuch mein shashtriya sangeet ki darohar ko sanjoye kalakaron ko ka PR itna nahi hota hai...jitna chaltau-popular music ke diggajon ka...aise kam jaane gayi shakshiyaton ko saamne laane ke liye saadhuwaad