गिरीन्द्र भाई आप ने बढ़िया किया जो मॉल घूम आए, क्या होगा झूठा शोक मना कर.. जब हमारा कोई मरा ही नही वहां. आशा है आप भी मॉल पे आतंकवाद का असर देखने नही मन बहलाव करने गए होंगे और होना भी यही चाहिए.
मुझे तो अभी से टेंशन हो रही है की नए साल का जश्न भी कहीं भेंट न चढ़ जाए इस आतंकवाद की.अमिताभ और आमिर भी ब्लॉग पर लड़ रहे हैं आतंकवाद से उनकी पीडा समझ में आती है उनका उन्होंने पैसे लिए होंगे नए साल पर कहीं नाचने के लिए.
अब इस घटना के बाद इधर कुआँ उधर खाई जैसी हालत है, समझ नही आ रहा करें तो क्या???आप भी लड़िये और मैं भी लडूंगा इससे ज्यादा हमारे बस में है ही क्या????? ज्यादा आत्मग्लानि हो रही हो तो कहीं मोमबत्ती वगैरह जला आइये. आत्मा को तसल्ली मिलेगी और अपराधबोध भी कटेगा, लेकिन हाँ इसके लिए ऑफिस से छुट्टी लेनी होगी गुरु........
1 comment:
सही लिखा है भाई, अमीरों को सबसे पहले चिंता हो रही है युद्ध की, अमिताभ/आमिर/राखी सावन्त के शो कहीं कैंसल ना हो जायें, इंग्लिश क्रिकेट टीम का दौरा रद्द ना हो जाये… युद्ध शुरु होने से पहले ही ये लोग चिल्लाने लग पड़े हैं… लानत है…
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