मुझे आदमी का सड़क पार करना हमेशा अच्छा लगता है क्योंकि इस तरह एक उम्मीद - सी होती है कि दुनिया जो इस तरफ है शायद उससे कुछ बेहतर हो सड़क के उस तरफ। -केदारनाथ सिंह
Friday, June 15, 2007
दुमका में झुमका हैरोलनि काशी में कनबाली.....
दरभंगा, मिथिला की अघोषित राजधानी। बोली-बानगी में मधु का प्रसार, हर बात को कहने का एक अलग की अंदाज, यही है खासियत मिथिला की। प्रेम को गीतों के माध्यम से यहां खूब बांचा जाता है। एक बानगी पेश है। विजय जी अक्सर इस गीत को गुनगुनाते हैं। शाम में जब हमारी मुलाकात होती है तो मेरे कई दोस्त जो मैथिली जानते भी नहीं हैं, इस गीत को सुनने की ज़िद करने लगते हैं। यहां तो आप सुन नहीं पाऐंगे, परन्तु पढ़कर आनंद जरूर उठा सकते हैं।
यहां दो पंक्ति में गीत के विषय में बता दूं कि यह गीत एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए गा रहा है। प्रेमिका अलग-अलग स्थानों में अपने आभूषण को खो चूकी है, फिर क्या ...प्रेमी गा उठता है----------------------
दुमका में झुमका हैरोलनि काशी में कनबाली
हम पुछलियनि के चुरौलक अहांक ठोरक लाली
हुनकर नथिया बरामद भेल हमरा रंगीला जिला बलिया में-2
मुंह हुनक पूर्णिमाक चंदा - 2
कोन मनुक्ख सं परलनि फंदा
जौ कियो केलखिन हुनकर निंदा -2
तिनका ओ केलखिन शर्मिन्दा
नैन हुनक दुइधारी खंजर
यवनक भार अपार
पटना सन शहर में हरौलनि ओ नौलखा हार
हुनकर बाली बरामद भेल कि हमरा कि मुशरी घरारी में..............
दुमका में झुमका हैरोलनि काशी में कनबाली
हम पुछलियनि के चुरौलक अहांक ठोरक लाली
हुनकर नथिया बरामद भेल हमरा रंगीला जिला बलिया में-2..................
रोज लिपिस्टिक चाहबे करियनि-2
रुबिया वायल पहिनबे करथिन्ह
चाहे लोक जतेक घायल हो-2
ओ नहि अप्पन चाल बदलती
पान दबौने गाल में हरदम
चप्पल हिल छैन चारि-2
जे कियो हुनका किछु कहती ओ मारती नैनक वाण
हुनकर ओढनि लय भागि गेल कौवा शहर दरभंगा में........
दुमका में झुमका हैरोलनि काशी में कनबाली
हम पुछलियनि के चुरौलक अहांक ठोरक लाली
हुनकर नथिया बरामद भेल हमरा रंगीला जिला बलिया में-2............
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4 comments:
भाई साहब मुझे भी मैथिली समझ नहीं आती, म0प्र0 का हूं । पर इस लोकगीत को कई बार पढ़कर समझा और मज़ा आया । क्या आप इसे गाकर अपनी या किसी और की आवाज़ में पोस्ट नहीं कर सकते । मज़ा आ जायेगा ।
आनंद आबि गेल। बधाई।
बहुत सुंदर लोकगीत प्रस्तुत की है।
क्या बात है गिरीन्द्र नये-2 प्रयोग!!!
बहुत अच्छा लगा लगातार लिखते रहो।
गिरींद्र जी
कमाले है. और है तो निकालिए फटाफट.
अनामदास
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