हिंदुस्तानी संगीत का प्रेम भारतीयों के दिलो में होना तो कुछ स्वभाविक नज़र आता है लेकिन किसी विदेशी के दिल में हिंदी गीतों के लिए प्यार जागना कुछ अनोखी सी बात लगती है.
एक फ्रांसीसी व्यक्ति ने पच्चीस हज़ार हिंदी गीतों के अधिकार ख़रीदे हैं और वह हिंदी गीतों के रचियताओं को समुचित रॉयल्टी दिलाने के लिए भी प्रयास कर रहे हैं.
अशील फ़ोर्लर 1969 से भारत में रह रहे हैं और उन्होंने देश का पहला संगीत प्रकाशन गृह खोला है जिसमें वह इन गानों का एक कैटलॉग प्रकाशित करेंगे.
अशील फ़ोर्लर ने अपनी कंपनी का नाम डीप इमोशंस पब्लिशिंग रखा है और दिल्ली में यह कंपनी शुरू करते हुए उन्होंने शुभा मुदगल को 1996 में बनी फ़िल्म कामसूत्र में गाए गए गीतों के लिए रॉयल्टी दिलाने में मदद की.
54 वर्षीय फ़ोर्लर भारत में फ्रांसीसी दूतावास में काम करते थे और वहाँ वह संगीत विभाग की देखरेख किया करते थे.
उन्होंने इन गानों के अधिकार ख़रीदने के लिए क़रीब तीस लाख डॉलर यानी क़रीब 15 करोड़ रुपए की धनराशि अदा की है.
इन गानों में गीतगार कुंदनलाल सहगल, राहुल देव बर्मन, जावेद अख़्तर और अन्नू मलिक जैसी हस्तियों की रचनाएँ शामिल हैं.
फ़ोर्लर ने सत्यजीत रे की फ़िल्म शतरंज के खिलाड़ी और बासु चटर्जी की रजनीगंधा जैसी फ़िल्मों के संगीत अधिकार भी ख़रीदे हैं.
जानकारी नहीं
अशील फ़ोर्लर कहते हैं कि फ्रांसीसी दूतावास ने 1990 से 1995 के बीच फ्रांस में इस्तेमाल हुए भारतीय संगीत के लिए क़रीब चार लाख डॉलर की रक़म इकट्ठी की थी लेकिन "हम नहीं जानते थे कि यह रक़म किसे अदा की जाए क्योंकि ज़्यादातर संगीत रचनाएँ पंजीकृत नहीं थीं."
फ़ोर्लर रॉयल्टी दिलाने के लिए काम कर रहे हैं
वह बताते हैं कि आख़िरकार यह रक़म फ्रांसीसी गीतकारों को प्रोत्साहित करने के लिए इस्तेमाल की गई.
अशील फ़ोर्लर कहते हैं कि भारत में संगीत रॉयल्टी के बारे में बहुत कम जानकारी है और उन्हें पता नहीं होता कि विदेशों में टेलीविज़न और रेडियो पर इस्तेमाल होने वाले गानों के लिए उन्हें रक़म मिल सकती है.
मसलन, प्रख्यात पटकथा लेखकर और शायर जावेद अख़्तर कहते हैं कि उन्होंने क़रीब 320 फ़िल्मों के लिए कहानियाँ और गीत लिखे हैं लेकिन उनमें से सिर्फ़ 30 के निर्माताओं के साथ ही रॉयल्टी के समझौते किए हैं.
अशील फ़ोर्लर कहते हैं कि इसराइल में इस्तेमाल किए जा रहे भारतीय संगीत के लिए भी कोई रॉयल्टी नहीं मिल रही है. वह बताते हैं कि इसराइल में पिछले क़रीब दो वर्षों में दो हज़ार से भारतीय गीतों का इस्तेमाल रेडियो और टेलीविज़न पर किया गया है.
2 comments:
बहुत खुशी की बात है यह तो, जो काम भारतीय ना कर सके वो काम एक विदेशी कर रहा है।
लेख में एक छोटी सी गलती हो गयी है के. एल सहगल, गायक और अभिनेता थे, राहुल देव बर्मन और अन्नू मलिक संगीतकार है (बर्मन दा अब हमारे बीच नहीं है) आपने इन सबको गीतकार बता दिया है।
dhanwayad Sagarji, galtiaon ko sudharne ja raha hun....aap mere blog par aye..ek bar phir dhanwad.
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