मुझे आदमी का सड़क पार करना हमेशा अच्छा लगता है क्योंकि इस तरह एक उम्मीद - सी होती है कि दुनिया जो इस तरफ है शायद उससे कुछ बेहतर हो सड़क के उस तरफ। -केदारनाथ सिंह
Monday, October 09, 2006
chote sarkar
अभिषेक को सफलता थोड़ी देर से मिली थी
अब तो कामयाबी अभिषेक बच्चन के क़दम चूम रही है. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब एक के बाद एक फ़्लॉप फ़िल्में दे रहे थे जूनियर बच्चन.
अभिषेक की नाकामी से फ़िल्म इंडस्ट्री वाले उतने चिंतित नहीं रहते थे. लेकिन छोटे सरकार को अपने माता-पिता के सामने सबसे ज़्यादा शर्मिंदगी उठानी पड़ती थी.
अभिषेक कहते हैं, "मेरी हर फ़िल्म के ट्रॉयल शो के बाद जब मैं अपने माँ-पापा का उतरा हुआ चेहता देखता था. तो मुझे बहुत ख़राब लगता था. दो इतने महारथी एक्टर और मैं उनका असफल बेटा. मुझे यह बात बहुत सताती थी."
अभिषेक बताते हैं कि एक समय वे ट्रॉयल शुरू होते ही थियेटर से निकल जाते थे ताकि उन्हें अपने माँ-पापा का उतरा चेहरा न देखना पड़े.
आख़िर जब अभिषेक की पहली हिट फ़िल्म धूम आई, तो घर में एकदम फ़िल्मी सीन हुआ. जब आदित्य चोपड़ा ने अभिषेक को फ़ोन करके बताया कि फ़िल्म हिट हो गई है तो अभिषेक ने सबसे पहले ये ख़बर अपनी माँ जया बच्चन को दी.
बस फिर क्या था! जया रोने लगीं और जूनियर बच्चन को गले से लगा लिया. उस दिन को याद कर अभिषेक कहते हैं, "सचमुच वो एक फ़िल्मी सीन था. मुझे तो हिंदी फ़िल्म का बैक ग्राउंड म्यूज़िक भी सुनाई दे रहा था."
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment