मुझे आदमी का सड़क पार करना हमेशा अच्छा लगता है क्योंकि इस तरह एक उम्मीद - सी होती है कि दुनिया जो इस तरफ है शायद उससे कुछ बेहतर हो सड़क के उस तरफ। -केदारनाथ सिंह
Thursday, October 12, 2006
बांग्ला फ़िल्म में बिहारी बने अभिषेक
अभिषेक 'अंतरमहल' से पहले एक और बांग्ला फ़िल्म में काम कर चुके हैं
ऋतुपर्णो घोष की नई बांग्ला फिल्म 'अंतरमहल' अभिषेक बच्चन की दूसरी बांग्ला फिल्म है, जबकि निर्देशक ऋतपर्णो ने इसी फिल्म के साथ निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रखा है.
इस सप्ताह शुरू हुई यह शूटिंग पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के विभिन्न इलाकों के अलावा शांतिनिकेतन में अक्तूबर के पहले सप्ताह तक चलेगी.
अगले सप्ताह से फिल्म के बाकी कलाकार यानी जैकी श्राफ और सोहा अली ख़ान के दृश्यों की भी शूटिंग होगी.
जब इतने नामी-गिरामी कलाकार जुटे हों, तो जाहिर है फिल्म का बजट भी ज्यादा होगा लेकिन घोष इसके बारे में बताने को तैयार नहीं हैं.
यह दरअसल हिंसा वाली फिल्म है. इसकी कहानी में उन्नीसवीं सदी की धार्मिक और सामंती हिंसा का चित्रण किया गया है
निर्माता निर्देशक ऋतुपर्णों घोष
वे मानते हैं कि निर्माता भी होने के कारण बजट की बात तो हमेशा दिमाग में रहती ही है. अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए अभिषेक पहली बार इस फिल्म में मैथिली भाषा का एक गाना भी गाएँगे.
अभिषेक इससे पहले अपनी फिल्म 'युवा' की शूटिंग के लिए कोलकाता आए थे. ऋतुपर्णो के शब्दों में, “युवा देखने के बाद उनको लगा था कि 'अंतरमहल' में यह भूमिका अभिषेक ही निभा सकते हैं.”
फ़िल्म की पटकथा ख़ुद लिखने वाले ऋतुपर्णो कहते हैं कि “यह फिल्म ताराशंकर बंद्योपाध्याय की कहानी 'प्रतिमा' पर आधारित है."
कई बड़े कलाकार
इस फिल्म में जैकी श्राफ जमींदार बने हैं, रूपा गांगुली और सोहा अली उनकी पत्नियाँ. अभिषेक ने इसमें बज्रभूषण नामक एक ऐसे बिहारी मूर्तिकार की भूमिका निभाई है जो काम की तलाश में बंगाल आने के बाद यहीं बस जाता है.
यह चरित्र ही ऐसा है, और फिर मैं बांग्ला उतनी अच्छी तरह नहीं बोल पाता
अभिषेक बच्चन
इससे फिल्म में भाषा की समस्या भी खत्म हो गई है. अभिषेक के ज्यादातर संवाद हिंदी में ही हैं.
अभिषेक कहते हैं कि "यह चरित्र ही ऐसा है, और फिर मैं बांग्ला उतनी अच्छी तरह नहीं बोल पाता."
हल्की दाढ़ी इस चरित्र की माँग थी इसलिए अभिषेक ने दाढ़ी बढ़ा ली है. फिल्म में इस मूर्तिकार ने मां दुर्गा की एक ऐसी प्रतिमा बनाई है जिसकी शक्ल जमींदार परिवार की बहू की शक्ल से मिलती है.
अभिषेक ने इससे पहले राजा सेन की बांग्ला फिल्म 'देश' में भी काम किया था.
क्या मम्मी या पापा ने बांग्ला फिल्म में काम करने के बारे में कोई टिप्पणी की थी? इस पर उनका जवाब है कि "मम्मी-पापा बिन माँगे कोई सलाह नहीं देते."
खुद ऋतुपर्णो का अपनी फिल्म के बारे में कहना है कि "यह दरअसल हिंसा वाली फिल्म है. इसकी कहानी में उन्नीसवीं सदी की धार्मिक और सामंती हिंसा का चित्रण किया गया है."
अक्तूबर के पहले सप्ताह तक यह फिल्म बन कर तैयार हो जाएगी.
यह महज संयोग ही है कि जब अभिषेक यहाँ बांग्ला फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं तो उनके पिता अमिताभ बच्चन की एक बांग्ला फिल्म 'ओरा कारा' (वे कौन हैं) यहां भीड़ का नया रिकार्ड बना रही है.
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