Thursday, October 19, 2006

अमरीका
अमरीका पर 11 सितंबर के हमलों के बाद विदेश उप मंत्री रिचर्ड आर्मिटेज़ से अपनी मुलाक़ात के बारे में भी राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने ज़िक्र किया है. मुशर्रफ़ ने लिखा है- रिचर्ड आर्मिटेज़ ने वही कहा जो कॉलिन पॉवेल ने मुझसे कहा था. उन्होंने ये तो कहा ही था कि आप या तो हमारे साथ हो या हमारे ख़िलाफ़. ये भी कहा गया था कि अगर हम आतंकवादियों का साथ चुनेगें तो हमें ऐसी बमबारी के लिए तैयार रहना होगा, जिससे पाकिस्तान पाषाण युग में पहुँच जाएगा. ये एक चौंकानेवाला धमकी थी. लेकिन यह स्पष्ट था कि अमरीका ने अपना मन बना लिया है. मुशर्रफ़ ने आगे लिखा है- सवाल ये था कि अगर हम उनका साथ नहीं देते हैं तो क्या हम उनका मुक़ाबला कर सकते हैं क्या हम उनके हमले का सामना कर सकते हैं. इसका जवाब था- नहीं. हमारी सेना नष्ट हो जाती. उन्होंने लिखा है कि अमरीका इस स्थिति का फ़ायदा उठाकर हमारे परमाणु हथियार और अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देता. मुशर्रफ़ ने अपनी किताब में राष्ट्रपति बुश का कम ही ज़िक्र किया है. लेकिन एक जगह वे लिखते हैं कि राष्ट्रपति बुश अल क़ायदा के सिर्फ़ तीन नेता का नाम जानते हैं. मई 2005 में ख़ुद मुशर्रफ़ ने फ़ोन करके राष्ट्रपति बुश को बताया था कि अबू फ़राज अल लिब्बी पकड़े गए हैं. मुशर्रफ़ ने लिखा है कि कैसे इस ख़बर पर राष्ट्रपति बुश ने उत्साहित होकर प्रतिक्रिया दी थी. अपनी किताब में राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने दावा किया है कि अल क़ायदा के 369 संदिग्ध सदस्यों को सौंपने के लिए अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए ने पाकिस्तान को गुप्त रूप से लाखों डॉलर दिए थे.

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