पूर्णिया में बंगाल है। इसी बंगाल ने पूर्णिया को एक समय सजाया-सँवारा था।
इसी पूर्णिया में दुर्गाबाड़ी है, बांग्ला भाषी लोगों का एक पुराना मोहल्ला। इस मोहल्ले में टहलते हुए हम बंगाल हो आते हैं, रामकृष्ण-विवेकानन्द-दक्षिण काली हो आते हैं।
पिछले छह साल से लगातार दुर्गा पूजा में इस मोहल्ले में कोलकाता देखता हूँ, रबिन्द्र संगीत सुनता हूँ, 'आन्दोलोके मंगलालोके ..' को समझता -बूझता हूं।
इसी मोहल्ले में सतीनाथ भादुड़ी जी का बासा है, हालांकि उनका घर बिक चुका है लेकिन मोहल्ले की सड़क भादुड़ी जी के नाम से है। हर साल शारदीय नवरात्र में रबिन्द्र संगीत सुनने हम यहां आते हैं और पूर्णिया को महसूस करते हैं।
आज से शारदीय नवरात्र आरम्भ है लेकिन मौसम का मिज़ाज अनुकूल नहीं है लेकिन उम्मीद है दो-चार दिन में सबकुछ ठीक हो जाएगा और हम सब दुर्गा पूजा के उत्सव का आनंद उठाएँगे।
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