प्रधानमंत्री जी, आज 15 अगस्त वाला आपका भाषण पढ़ रहा था। एक जगह आपने कहा कि यदि आप कहीं सड़क बना देते हैं तो लोगबाग संतुष्ट नहीं होते और पूछते हैं कि फोर लेन सड़क कब दे रहे हैं...! मोदी जी, आपने बहुत ही सकारात्मक अंदाज में ये बातें कही लेकिन आपको यह कैसे बताया जाए कि प्रधानमंत्री -मुख्यमंत्री के नाम पर जो सड़क निर्माण की योजनाएं हैं, वह धरातल पर किस रूप में है।
प्रधानमंत्री जी, आपका भाषण उम्मीदों से भरा था, उम्मीद बड़ी चीज है लेकिन क्या कहूँ, 2019 आमचुनाव के मतदान से एक हफ्ता पहले सड़क निर्माण के लिए सड़क खोद दी जाती है और आज जब आप फिर से लाल किले की प्राचीर से भाषण दे रहे हैं तो वह सड़क मुंह ताक रहा है।
सड़क का शिलान्यास तो 2018 में ही हो गया था। स्थानीय विधायक सड़क का शिलान्यास करते हैं, काले पत्थर पर नाम, योजना, वर्ष सबकुछ लिखकर माला पहना दिया जाता है, हम आज तक टुकुर टुकुर देखते रह जाते हैं।
अच्छी सड़क , बिजली, हवाई अड्डा आदि की बातें सुनकर अच्छा लगता है लेकिन इस ग्रामीण सड़क को लेकर जब यह सबकुछ लिख रहा हूँ तो लगता है कि अपने निज़ाम से क्या क्या कहूँ ?
प्रधानमंत्री जी, लोग कहेंगे कि इतनी छोटी सी बात के लिए प्रधानमंत्री जी को क्यों कहा जा रहा है, लेकिन क्या करूँ कोई सुनता ही नहीं है! ऐसे में उम्मीद वाला आज का आपका भाषण पढ़कर लगा कि आपका ही दरवाजा खटखटाया जाए !
प्रधानमंत्री जी यह कहानी सूबा बिहार के पूर्णिया जिला के कसबा विधानसभा क्षेत्र के चनका गाँव की है, जिसे आपने ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन में चुना है।
मोदी जी, लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान के ठीक हफ्ते भर पहले जेसीबी से सड़क की खुदाई हो जाती है। सन 1947 के बाद पहली बार सड़क निर्माण की शुरुआत देखकर जनता जय -जय करने लगती है। नाटक खत्म , पर्दा गिर जाता है!
मतदान के बाद, 23 मई 2019 के बाद से ही सड़क निर्माण की बात पता नहीं कहाँ खो जाती है।
स्थान- चनका
योजना का नाम- मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना
शिलान्यास की तारीख- 4-6-2018
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