Monday, October 03, 2016

लकीर-फकीर-कबीर

एक सीधी लकीर
एक टेढ़ी लकीर
एक तिरछी
एक आधी
एक पूरी लकीर!
ओहो!
एक पूरी लकीर ही
तो भरम है प्यारे!
तो, साहेबान
और क़द्रदान
बस खींचते जाओ
लकीर
सीधी
टेढ़ी
आधी
जो भी बने
बनाते चलो
लकीर तो
बस पड़ाव है प्यारे
मंज़िल तो फकीर है,
लाठी लिए कबीर है।

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