Thursday, September 08, 2016

शहाबुद्दीन-सीवान-तेज़ाब

माननीय मुख्यमंत्री जी

नमस्कार।

राष्ट्रीय जनता दल से जुड़े मो. शहाबुद्दीन के मसले पर आपको यह चिट्ठी लिख रहा हूं। शहाबुद्दीन, सीवान और तेजाब कांड, तीनों का नाम एक साथ सामने आते ही  जेहन में कई खौफनाक यादें ताजा हो उठती है।

मेरे बड़े भाई पुष्यमित्र लिखते हैं : "इसे स्वीकारने में कोई हर्ज नहीं कि हम लोग शहाबुद्दीन से डरते हैं।  उसके जेल से बाहर आने की खबर सुनकर डरते हैं, वह सीवान जेल में होता है तो सीवान के भले लोग डरते हैं। पत्रकार भी डरते हैं। राजवीर हत्या कांड को कौन भूल सकता है। लड़कों को तेजाब से नहला कर मारना कौन भूल सकता है। भले आप कामरेड चंद्रशेखर की हत्या की बात भूल जाये... हम नहीं भूल सकते। हम यहीं रहते हैं इसलिए शहाबुद्दीन के कानून के शिकंजे से बाहर निकलने की खबर से डरते हैं..."

मुख्यमंत्री जी, जैसा आपको पता ही होगा कि मो. शहाबुद्दीन को बुधवार को चर्चित तेजाब कांड से जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई  इस जमानत ने उसके जेल से बाहर आने के दरवाजे खुल गए हैं। शहाबुद्दीन ने गुरुवार को भागलपुर के विशेष केंद्रीय कारा में बेल बांड भरा है और शुक्रवार को उसके रिहा होने की संभावना है।

मुख्यमंत्री जी, आप तो सबकुछ जानते हैं। आपने ही शहाबुद्दीन का भय हमलोगों के दिमाग़ से हटाया था लेकिन वह एक बार फिर बाहर आ रहा है।

नीतीश जी, जैसा कि आपको पता ही होगा 2004 में 16 अगस्त को अंजाम दिए गए दोहरे हत्याकांड में सीवान के एक व्यवसायी चंद्रकेश्वर उर्फ चंदा बाबू के दो बेटों सतीश राज (23) और गिरीश राज (18) को अपहरण के बाद तेजाब से नहला दिया गया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी।

इस हत्याकांड के चश्मदीद गवाह चंदा बाबू के सबसे बड़े बेटे राजीव रोशन (36) थे। मामले की सुनवाई के दौरान 16 जून, 2014 को राजीव की भी हत्या कर दी गई। इसके ठीक तीन दिन बाद राजीव को इस मामले में गवाही के लिए कोर्ट में हाजिर होना था। चंदा बाबू और उनकी पत्नी कलावती देवी अब अपने एकमात्र जीवित और विकलांग बेटे नीतीश (27) के सहारे अपनी बची हुई जिंदगी काट रहे हैं।


पिछले साल दिसंबर में ही सीवान की एक स्थानीय अदालत ने इस हत्याकांड में राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के अलावा तीन अन्य लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। नीतीश जी 'बिहार में बहार है' आपका नारा था, आपको हमने प्रचंड बहुमत देकर चुना।


तहलका पत्रिका में निराला भाई की रिपोर्ट में चंदा बाबू कहते हैं - "मेरे तीन बेटों की हत्या हुई, बेटों की हत्या का मुआवजा भी नहीं मिला। यह शिकायत है मेरी नीतीश कुमार से। खैर, अब क्या किसी से शिकायत. खुद से ही शिकायत है कि मैं कैसी किस्मत का आदमी हूं, जो शासन, व्यवस्था, कानून, खुद से… सबसे हार गया...."

वैसे यह तय है कि सरकार चंदा बाबू के मामले में शायद ही सुप्रीम कोर्ट जाये! लेकिन यदि बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है तो लोगों का सरकार पर विश्वास मज़बूत होगा।

ख़ैर, बांकी जो करना है आपको ही करना है। आशा है आप बिहार की जनता की   आवाज़ सुनेंगे। हम एक बार फिर आपसे गुज़ारिश करते हैं कि आप चंदा बाबू को न्याय दिलाने में सहायता करें।


आपका

गिरीन्द्र नाथ झा

ग्राम-चनका
पोस्ट - चनका
ज़िला-पूर्णिया

5 comments:

U&Me said...

ज़मानत पर कन्हैया, ज़मानत पर शहाबुद्दीन
ज़मानत पर लालू, ज़मानत पर ख़ालिद-उ-द्दीन।

जनता को कितना मज़ा आता है जब जनता लुटती-पिटती है, नरपिशाच हाथ में खप्पर लिए जनता का ख़ून पीते हैं और जनता ताली पीटती है। क्या ऐसे ही इस्लामी हमलावरों और अंग्रेज़ों का स्वागत नहीं किया होगा जनता ने?

इसी जनता के सच्चे इतिहासकार हैं रोमिला थापर और हबीब सरीखे लोग जिनकी प्रेरणा से जेएनयू के छात्र और शिक्षक उनके साथ खड़े होते हैं जिनका नारा है:
भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह इंशाल्लाह।

इसी जेएनयू के एक छात्रनेता (कॉमरेड चन्द्रशेखर) की हत्या समेत दर्ज़नों हत्याओं व अन्य संगीन अपराधों के मास्टरमाइंड शहाबू को ज़मानत मिल गई; सामाजिक न्याय के मसीहा चारा घोटाला प्रसाद भी ज़मानत पर हैं। पूरे देश के सेकुलर-वामियों को बकरीद का तोहफ़ा मिल गया; जेएनयू के वामी भी ख़ुश हैं कि भारत की बर्बादी तक जंग जारी रखनेवालों के सरपरस्त कन्हैया और ख़ालिद भी ज़मानत पर हैं।

काश यह पूरा देश भी एक दिन ऐसे ही ज़मानत पर चलने लगे तो कैसा होगा! सारी दुनिया एक दिन ज़मानत पर चलने लगे तो कैसा होगा!
तब मेहनतकश मजदूरों का राज होगा और फ़िर 'एक गाँव नहीं एक देश नहीं हम सारी दुनिया माँगेंगे'।

U&Me said...

ज़मानत पर कन्हैया, ज़मानत पर शहाबुद्दीन
ज़मानत पर लालू, ज़मानत पर ख़ालिद-उ-द्दीन।

जनता को कितना मज़ा आता है जब जनता लुटती-पिटती है, नरपिशाच हाथ में खप्पर लिए जनता का ख़ून पीते हैं और जनता ताली पीटती है। क्या ऐसे ही इस्लामी हमलावरों और अंग्रेज़ों का स्वागत नहीं किया होगा जनता ने?

इसी जनता के सच्चे इतिहासकार हैं रोमिला थापर और हबीब सरीखे लोग जिनकी प्रेरणा से जेएनयू के छात्र और शिक्षक उनके साथ खड़े होते हैं जिनका नारा है:
भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह इंशाल्लाह।

इसी जेएनयू के एक छात्रनेता (कॉमरेड चन्द्रशेखर) की हत्या समेत दर्ज़नों हत्याओं व अन्य संगीन अपराधों के मास्टरमाइंड शहाबू को ज़मानत मिल गई; सामाजिक न्याय के मसीहा चारा घोटाला प्रसाद भी ज़मानत पर हैं। पूरे देश के सेकुलर-वामियों को बकरीद का तोहफ़ा मिल गया; जेएनयू के वामी भी ख़ुश हैं कि भारत की बर्बादी तक जंग जारी रखनेवालों के सरपरस्त कन्हैया और ख़ालिद भी ज़मानत पर हैं।

काश यह पूरा देश भी एक दिन ऐसे ही ज़मानत पर चलने लगे तो कैसा होगा! सारी दुनिया एक दिन ज़मानत पर चलने लगे तो कैसा होगा!
तब मेहनतकश मजदूरों का राज होगा और फ़िर 'एक गाँव नहीं एक देश नहीं हम सारी दुनिया माँगेंगे'।

रेणु said...

बहुत सार्थक सोच के साथ लिखा गया सार्थक लेख छद्म व्यवस्था पर तीखा व्यंग है !

रेणु said...

बहुत सार्थक सोच के साथ लिखा गया सार्थक लेख छद्म व्यवस्था पर तीखा व्यंग है !

रेणु said...

बहुत सार्थक सोच के साथ लिखा गया सार्थक लेख छद्म व्यवस्था पर तीखा व्यंग है !