इलाहाबाद से
अमिताभ बच्चन के चुनाव लड़ने से ब्राह्मणों और कायस्थों का मनमुटाव खुलकर सामने आ गया
था। ब्राह्मणों में यह बात फैल गई थी कि यदि अमिताभ जीत गए तो वह मंगल प्रसाद हो जाएंगे।
मंगल प्रासद कांग्रेस के ऐसे कायस्थ नेता थे, जिनके जीवनकाल में किसी दूसरे को टिकट मिलने का सवाल ही नहीं उठता था। अमिताभ की
जीत में ब्राह्मण अपने भविष्य को अंधाकरमय देखने लगे और मजे की बात यह है कि यह विचार
उन ब्राह्मणों का भी था जो कांग्रेस में थे।
अमिताभ बातचीत
में बहुत सर्तक रहते थे। उनके चुनावी कार्यक्रमों का संयोजन उनके मामा जगदीश रंजन कर
रहे थे, जो संघ लोक सेवा आयोग और विश्वविद्यालय कार्यकारिणी
के सदस्य थे। उधर,
जया बच्चन भी प्रचार
में लगी थीं। वो घूम-घूमकर महिलाओं के साथ बैठक कर रही थीं और इलाहाबाद की बहू होने
के नाते ‘मुंहदिखाई’ में वोट मांग रही थीं। जया बच्चन औरतों के बीच ‘हाथ के निशानवाली बिंदी’ भी बांट रही
थीं।
चुनाव प्रचारों
में अमिताभ दस मिनट का नपा-तुला भाषण देते थे। वे फिल्मी शैली में अपनी बात रख रहे
थे। अमिताभ जब चुनाव प्रचार के लिए संगम नगरी आए तो उनके पहनावे का अंदाज भी जुदा था.
अमिताभ आमतौर पर क्रीम रंग का कुर्ता और सफेद पायजामा पहनते थे और साथ में शाल भी रखते
थे. अमिताभ प्रशंसकों की भीड़ देखते ही कार से बाहर आ जाते और हाथ हिलाकर उनका अभिवादन
करते थे. अमिताभ का ये पहनावा और शाल का अंदाज इस कदर लोकप्रिय हुआ कि इलाहाबाद की
बाजार से सफेद शाल ही गायब हो गई .
इलाहाबाद में
चुनाव प्रचार के दौरान इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही लड़कियों को पता चला
कि अमिताभ लल्लाचुंगी से गुजरने वाले हैं. अमिताभ की एक झलक पाने के लिए विश्वविद्यालय
की लड़कियां महिला छात्रावास के सामने लल्ला
चुंगी पहुंच गईं. अमिताभ को आना था 2 बजे लेकिन वो वहां 4 बजे पहुंच
सके. अमिताभ आए तो लड़कियों का सैलाब उमड़ पड़ा. लड़कियों ने अमिताभ के इस्तकबाल में
सड़क पर अपने दुपट्टे बिछा दिए.
चुनाव प्रचार
के दौरान एक बार अमिताभ का काफिला कलेक्ट्रेट के सामने से गुजर रहा था. सड़क के दोनों
ओर भारी भीड़ के बीच अचानक लक्ष्मी टाकीज के पास अमिताभ बच्चन कार से उतरे और नाई जुम्मन के पास जा पहुंचे. अमिताभ ने जुम्मन के हाथों बाल
कटवाने की इच्छा जताई तो जुम्मन मियां मारे खुशी के रो पड़े।
चुनाव में अमिताभ
बच्चन को अखबारों में भरपूर जगह मिली थी । वैसे इलाहाबाद के अखबार उनके बारे में उतना
नहीं छाप रहे थे,
जितने राज्य के दूसरे
स्थानों या बाहर से प्रकाशित अखबार।
( गौरतलब
है कि 84 के आमचुनाव में अमिताभ बच्चन को कांग्रेस ने इलाहाबाद से टिकट थमाया था।
उनके खिलाफ कद्दावर हेमवती नंदन बहुगुणा थे। हालांकि 84 की लहर में बहुगुणा चुनाव
हार गए। यह कतरन रविवार (16-22 दिसंबर 1984) पत्रिका के एक लेख पर आधारित है)
3 comments:
बहुत बढ़िया आलेख।
अच्छा लगा गुज़रे वक्त की कुछ रोचक बातें जानकर...
अमिताभ के बीते दिन के बारे में खासकर लोकसभा चुनाव के उस दौर की बात पढ़कर बड़ा अच्छा लगा. धन्यवाद झा जी.
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