Wednesday, May 04, 2011

हम अनुवाद या कट-पेस्ट कॉपी संस्कृति में रच बस गए हैं


इंडिपेंडेंट शब्द पर मुझे कभी-कभी गुस्सा भी आता है। ऐसा लगता है मानो ये शब्द गढ़ा गया हो, खासकर मीडिया में इस शब्द के प्रयोग को लेकर। कहने को आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस है लेकिन एक मीडियाकर्मी खुद को कितना स्वतंत्र महसूस करता है? यह एक मौजू सवाल है। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले प्रेस की स्वतंत्रता को आज यदि किसी से खतरा है तो वह बाजारवाद है। मैं यह नहीं कहता कि बाजार मीडिया का दुश्मन है, लेकिन उसकी दखलंदाजी मीडिया को खाए जा रही है। बाजार को अपनी सीमा तय करनी होगी। 

कंटेट इससे सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है। अब बाजार यह फैसला ले रही है कि अखबार-पत्रिका में क्या छपे और समाचार चैनल प्राइम टाइम में क्या दिखाएं।  इस कारण न केवल उसकी निष्पक्षता प्रभावित हो रही है, बल्कि उस पर से जनता का विश्वास भी कम होता जा रहा है। मेरा मानना है कि मीडिया का जितना ज्यादा व्यवसायीकरण होगा उसकी निष्पक्षता उतनी ही प्रभावित होगी।
दूसरी अहम बात यह है कि पत्रकारों को भी कंफर्ट जोन से बाहर निकलना होगा। दरअसल प्रेस की स्वतंत्रता की बात करें तो पहले तो प्रेस को‘अपने आप’ से ही खतरा है। अधिकांश मीडिया घराओं का आज कोई स्पष्ट एजेंडा नहीं है। उसे अपने अंदर झांकना होगा और अपना विश्लेषण करना होगा। दरअसल विश्लेषण करने से कई बातें सामने आएंगी। कंटेट के स्तर पर हमें जमकर काम करना होगा।

 यदि हम और आप विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस सचमुच में मनाना चाहते हैं तो हमें ऑरिजनल कंटेट पर काम करना होगा। कंटेट जेनरेट नहीं हो पा रहे हैं, हम अनुवाद या कट-पेस्ट कॉपी संस्कृति में रच बस गए हैं। इसे बदलने की जरूरत है। आंकड़ों पर भरोसा करें तो आज पूरी दुनिया में १० फीसदी भी कंटेट जेनरेट नहीं हो रहा है, सब रिसाइकिल हो रहे हैं, मतलब यहां से वहां...। हम मीडियाकर्मियों को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा।


मूलत: समाचार 4 मीडिया में प्रकाशित 

3 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

यह मीडिया माध्यमों के विस्फोट की बेला है

डॉ .अनुराग said...

सच तो ये है जानते सब है पर करना कोई नहीं चाहता .बाज़ार की गिरफ्त बहुत मजबूत है ....

Markand Dave said...

प्रिय श्रीगिरीन्द्र नाथजी,

"हम अनुवाद या कट-पेस्ट कॉपी संस्कृति में रच बस गए हैं।"

आपके विचार मननीय हैं,आपको बहुत-बहुत बधाई।

मूल सर्जक के सृजन की रक्षा के लिए,कृपया यह आलेख ज़रूर पढें। "कॉपीराईट एक्ट-helpful-hand-book.

http://mktvfilms.blogspot.com/2011/04/helpful-hand-book.html

मार्कण्ड दवे।