काहिरा से लौटकर ब्रह्मनंद सिंह
इजिप्ट के हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. काहिरा वल्र्ड के लिए क्रांति की नई स्क्रिप्ट तैयार कर रहा है. काहिरा की सडक़ों पर बदलाव के लिए संघर्ष कर रहे यूथ इस बात की गवाही दे रहे हैं कि यदि आप ठान लें तो कुछ भी कर सकते हैं लेकिन यकिन मानिए इसके लिए आपको खून बहाना होगा. मैं एक फिल्म की शूटिंग के लिए इजिप्ट गया था. वहां दो फरवरी को मैंने जो कुछ भी देखा, मेरी नजर में वही असली क्रांति है. काहिरा का विद्रोह न केवल इजिप्ट के लिए बदलाव का फेज है बल्कि अरब क्षेत्र के अन्य देशों के लिए भी एक सीख है. मैं वहां एक हफ्ते तक बिना इंटरनेट के था. लगातार सात दिन काहिरा मेरे लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी क्योंकि मैं दुनिया के अन्य हिस्सों से पूरी तरह से कट चुका था.
काहिरा एयरपोर्ट या हावड़ा रेलवे स्टेशन?
काहिरा एयरपोर्ट पर जबरदस्त भीड़ थी. ठीक उसी तरह जिस तरह मेरा ई-मेल बॉक्स. यमन के साना एयरपोर्ट पर वाई-फाई के बदौलत मैं नेट की दुनिया में कुछ घंटों के लिए दाखिल हो सका. मुझे अपने मुल्क की याद सता रही थी. काहिरा एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ और ट्रालियों की कतारें मुझे हावड़ा रेलवे स्टेशन की यादें ताजा करा रही थी. हर जगह अजीब तरह की अफरातफरी थी. एक फरवरी का अनुभव मैं कभी नहीं भूल सकता. काहिरा की सडक़ों पर विद्रोही युवाओं की तस्वीर अभी भी मेरे आंखों के सामने नाच रही है. मेरे हिसाब से ऐसे अवसरों पर जब किसी मुल्क में क्रांति की बिगुल फूंकी जाती है, उस वक्त युवाओं की स्थिति सबसे अधिक मजबूत होती है. ऐसे वक्त में युवा भी दो खेमे में बंट जाते हैं. एक तो फॉरमेटिव होते हैं, जो बदलाव के लिए पॉजीटिव स्टेप उठाते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ युवा मौका का फायदा उठाकर लूटपाट मचाने लगते हैं. यही हाल काहिरा की गलियों में नजर आया. लूटपाट मचाने वाले यूथ एटीएम मशीनों पर निशाना साध रहे थे. आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि काहिरा में एक दिन ऐसा भी आया, जब मेरे पास पैसे नहीं थे. दरअसल कोई भी एटीएम काम नहीं कर रहा था. लूट से बचने के लिए बैकों ने अपने सभी एटीएम पर ताले जड़ दिए थे.
वजह है करप्शन
मेरा क्या, हर शख्स का यही मानना होगा कि ऐसी स्थिति के पीछे करप्शन का हाथ होता है. इजिप्ट में करप्शन इस कदर फैल चुका है कि लोगों को सडक़ों पर उतरना ही पड़ा. दरअसल किसी भी मुल्क के लिए, जहां करप्शन की बाढ़ आ जाती है, उसे ऐसे कदम उठाने पड़ते हैं. व्यक्तिगत तौर पर मैं इसे अपराइजिंग का हिस्सा मानता हूं. भाई-भतीजावाद जब इस तरह फैल जाए, जहां आम आदमी के पास कुछ न बचा हो तो वह आखिर क्या करेगा. ऐसे में रिवोल्यूशन ही एक ऑप्शन बचता है. अल्जीरिया फिर ट्यूनीशिया के बाद इजिप्ट में पब्लिक सडक़ों पर उतर कर तीस साल से सरकार चला रहे होस्नी मुबारक को सत्ता से बेदखल करने पर उतारू है. मेरा मानना है कि यह एक जनज्वार है, जो अरब की राजनीति को बदलने का माद्दा रखती है. मेरा अपना अनुभव इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि काहिरा की क्रांति सोशल नेटवर्किंग के जरिए भी बढ़ रही है. ट्विटर और फेसबुक पर तो कम्यूनिटि डेवलप की जा रही है, जो लोगों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण रोल अदा कर रही है. काहिरा एयरपोर्ट से जब मैं फेसबुक पर अपनी बातें रखने लगा तो टिप्पणियों की बाढ़ सी आ गई. कोई मेरी सलामती के लिए दुआ कर रहा था तो कोई काहिरा की पॉलिटिक्स पर अपनी राय रख रहा था.
-ब्रह्मनंद सिंह फिल्म मेकर और राइटर हैं. आप मूल रूप से बिहार के पूर्णिया जिले से ताल्लुक रखते हैं. आपको हाल ही में नेशनल अवार्ड से नवाजा गया था. आप पंचम अनमिक्स्ड - मुझे चलते जाना है, से सुर्खियों में आए. आपकी कई डाक्यूमेंट्री फिल्में विदेशों में प्रदर्शित हो चुकी हैं. आप पिछले हफ्ते ही काहिरा से लौटे हैं
1 comment:
बस एक बात ओर होनी चाहिए आन्दोलन भटक कर गलत हाथो में सत्ता का हस्तात्तन्त्रण नहीं होना चाहिए....यानि एक खयालो के आज़ाद देश को कठमुल्लों के हाथ भी नहीं जाना चाहिए ...ऐसा कदम सिर्फ युवा ही उठा सकते है.... कई क्रांतिय अपने उद्देश्य से अक्सर भटक .जाती है
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