Thursday, December 31, 2009

नए साल के जश्न से पहले बीबीसी के विनोद वर्मा की भी बात सुनें..

• एक सरकारी रिपोर्ट कहती है कि भारत में ग़रीबी बढ़ी है और अब हर तीसरा भारतीय दरिद्र है.


• मुंबई मेट्रोपोलिटन रिजनल डवलपमेंट अथॉरिटी के आयुक्त रत्नाकर गायकवाड का कहना है कि मुंबई में 54 प्रतिशत आबादी झुग्गियों में रहती है. लेकिन वे यातायात को सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं.

• भारत के गृहमंत्री ने कहा है कि नक्सली अब देश के 20 राज्यों के 223 ज़िलों में फैल गए हैं.

• झारखंड में मुख्यमंत्री रहे मधु कोड़ा के ठिकानों पर छापों के बाद चार हज़ार करोड़ रुपयों से अधिक की संपत्ति का पता लगा.

• आंध्र प्रदेश के राज्यपाल नारायण दत्त तिवारी को एक सेक्स वीडियो के विवाद के बाद इस्तीफ़ा देना पड़ा है. हालांकि वे अपने आपको निर्दोष बता रहे हैं.

• एक अवयस्क बालिका रुचिका के साथ छेड़छाड़ और आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले पुलिस अधिकारी को 19 साल बाद सिर्फ़ छह महीने की सज़ा सुनाई गई है.

• पुराने रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव रेलवे की रिकॉर्ड कमाई की वजह से मैनेजमेंट गुरु बन गए थे. नई रेलमंत्री ममता बैनर्जी कह रही हैं कि लालू प्रसाद यादव ग़लत आंकड़े दे रहे थे.

• साल भर में औसतन एक हज़ार फ़िल्म बनाने वाले भारतीय बाज़ार में अच्छी कही जाने लायक फ़िल्मों की संख्या दहाई तक भी नहीं पहुँच पाई है.

• साल भर पहले 40 रुपए किलो बिकने वाली तुअर की दाल इन दिनों 110 रुपए किलो बिक रही है.



ये सब वर्ष 2009 की सुर्खियों में से कुछ हैं.
आप कह सकते हैं कि मैं गिलास को आधा भरा देख नहीं पा रहा हूँ, आधा खाली देख रहा हूँ. लेकिन जब नए साल में जाना हो तो अपने आपको यह याद दिलाना अच्छा रहता है कि बीते साल क्या कुछ था जिसे हम ठीक नहीं कर सके.

नए साल में हर कोई नए संकल्प लेगा. इनमें से अधिकांश संकल्प मौसम बदलने से पहले टूट चुके होंगे.
जब देश के राजनेता सिर्फ़ सकल घरेलू आय यानी जीडीपी में वृद्धि को देश की तरक्की का पैमाना मान बैठे हैं, तब यह चिंता करनी ही चाहिए कि ये सुर्खियाँ कब हमारी नज़रों से ओझल होंगीं. बहरहाल, चलिए नए साल का जश्न मनाएँ.

साभार बीबीसी ब्लॉग

8 comments:

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

JHA JI BHUT HI SARTHA MUDDA UTHA KARE AAP NE AANKHE KHOLI
DHNYBAAD
SAADAR
PRAVEEN PATHIK
9971969084

राजेश उत्‍साही said...

चलिए इन सबसे लड़ने का संकल्‍प करके ही कल के सूरज का स्‍वागत करें। शायद सवाल यह नहीं है कि हम जश्‍न मनाएं या नहीं। सवाल यह है कि इन सवालों का जवाब कब ढूंढेंगे। और सही बात तो यह कि जश्‍न मनाने वाले साल की किसी तारीख का इंतजार नहीं करते,वे तो जश्‍न में रहते हैं। उन्‍हें शायद सोचना पड़ता है कि जश्‍न किस दिन मनाएं। आइए कहें कि नए साल में कमाल के,समाधान कुछ ज्‍वंलत सवाल के।शुभकामनाएं।

राजेश उत्‍साही said...

कविता की पंक्ति इस तरह पढ़ें,

नए साल में हों कमाल के,
समाधान कुछ ज्‍वलंत सवाल के।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

जीवन में, निराशा, हताशा, पीडा, दुख दर्द हमेश रहा है, हमेशा रहेगा। पर इंसान इस सब पर विजय पाता हुआ नई नई गाथाएं लिखता रहा है, लिखता रहेगा।

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पुरूषों के श्रेष्ठता के जींस-शंकाएं और जवाब।
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्‍कार घोषित।

Kusum Thakur said...

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई !!

दिनेशराय द्विवेदी said...

आईना दिखाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

नववर्ष आप के लिए मंगलमय हो।

संगीता पुरी said...

मुझे तो इससे भी बुरी स्थिति दिखती है .. आपके और आपके परिवार के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

Udan Tashtari said...

आभार इस आलेख का!!


वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-

नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी